'सांसद खेल महाकुंभ' वह मजबूत नींव, जिस पर होगा भविष्य की बहुत भव्य इमारत का निर्माण: मोदी
प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सांसद खेल महाकुंभ में भाग लिया
'ऐसी खेल प्रतियोगिताएं स्थानीय प्रतिभाओं को निखारती हैं'
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीसी के माध्यम से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सांसद खेल महाकुंभ में भाग लिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मैं गोरखनाथ की पवित्र धरती को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, 'सांसद खेल प्रतियोगिता' में शामिल सभी खिलाड़ियों को बधाई देता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खेल हो या 'कला संगीत', दोनों की आत्मा और ऊर्जा एक ही है। विश्व में भारत की संस्कृति, परंपरा और मूल्यों को बढ़ावा देना हम सबका दायित्व है।'सांसद खेल महाकुंभ' खेल की प्रतियोगिताओं को आगे बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है कि स्थानीय स्तर पर ऐसी खेल प्रतियोगिताएं होती रहें।
ऐसी खेल प्रतियोगिताएं स्थानीय प्रतिभाओं को निखारती हैं, साथ ही खिलाड़ियों के हौसले को भी बूस्ट करती हैं। हमारे देश में बहुत सारा गुप्त और सुप्त सामर्थ्य है, जो बाहर आने के लिए लालायित है। खेल की दुनिया में सामर्थ्य को सामने लाने में 'सांसद खेल महाकुंभ' की बड़ी भूमिका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल के बजट में इसके लिए कई प्रावधान किए गए हैं, 2014 की तुलना में इस साल खेल मंत्रालय का बजट तीन गुना ज्यादा है। 'सांसद खेल महाकुंभ' वह मजबूत नींव है, जिस पर भविष्य की बहुत भव्य इमारत का निर्माण होने जा रहा है।
'खेलो इंडिया मूवमेंट' के तहत खिलाड़ियों की ट्रेनिंग पर ध्यान दिया जा रहा है। अब देश होलिस्टिक विजन के साथ आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ओलंपिक से लेकर दूसरे बड़े टूर्नामेंट तक में जिस तरह भारत के खिलाड़ी मेडल जीत रहे हैं, उस विरासत को आप जैसे खिलाड़ी ही आगे बढ़ाएंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सब इसी तरह चमकेंगे और अपनी सफलताओं की चमक से देश का नाम रोशन करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘नमामि गंगे’ अभियान आज देश के विभिन्न राज्यों के लिए एक मॉडल बनकर उभरा है। आज न केवल गंगा साफ हो रही है, बल्कि उनकी तमाम सहायक नदियां भी स्वच्छ हो रही हैं। गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती जैसे अभियान भी शुरू हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जन अभियान एक ऐसे समय में शुरू हो रहा है, जब पानी की कमी को भविष्य के संकट के रूप में देखा जा रहा है। इतनी बड़ी आबादी के कारण 'वाटर सिक्योरिटी' हम सब की साझी जिम्मेदारी है। जल रहेगा, तभी आने वाला कल भी रहेगा और इसके लिए हमें आज से ही प्रयास करने होंगे।