द्रमुक ने केन्द्र से तमिल भाषा में एसएससी परीक्षा कराने की मांग की

द्रमुक ने केन्द्र से तमिल भाषा में एसएससी परीक्षा कराने की मांग की

चेन्नई। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि वह कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ग्रुप ‘बी’’, गु्रप ‘सी’’ और ग्रुप ‘डी’’ श्रेणी के कर्मचारियों के चयन के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा तमिल सहित विभिन्न राज्यों की मातृभाषा में ली जानी चाहिए। मौजूदा समय में कर्मचारी चयन आयोग द्वारा सिर्फ अंग्रेजी और हिन्दी भाषा में ही परीक्षा ली जाती है। द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह को इस संबंध में एक पत्र लिखकर यह अनुरोध किया है। स्टालिन ने अपने पत्र में कहा है कि सिर्फ हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में प्रश्नपत्र होने के कारण देश के ऐसे राज्य जहां पर इन दोनों भाषाओं को जानने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम है वहां पर स्थानीय विद्यार्थियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना प़ड रहा है।अपने पत्र में द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा है कि मैं आपकी जानकारी में यह गंभीर विषय लाना चाहता हूं कि राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली परीक्षाओं में भेदभाव पूर्ण प्रक्रियाओंं के कारण कर्मचारी चयन आयोग द्वारा विभिन्न सरकारी सेवाओं में जाने के इच्छुक तमिलनाडु के युवाओं के साथ अन्याय हो रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मौजूदा समय में सिर्फ हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में प्रश्नपत्र होने के कारण दक्षिण भारतीय राज्यों, विशेषकर तमिलनाडु की तुलना में उत्तर भारतीय राज्यों के विद्यार्थियों को इसका फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर भारतीय राज्योंे के विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा तमिल में परीक्षा लिखने की सुविधा मिल रही है लेकिन तमिलनाडु के विद्यार्थी अपने इस अधिकार से वंचित हैं।द्रमुक नेता ने कहा है कि गैर वाजिब प्रतिबंधों को लगाने के कारण राज्य के बेरोजगार युवकों को अन्यायपूर्वक तमिलनाडु में स्थित केन्द्र सरकार के विभिन्न कार्यालयों में नियुक्त होने से रोका जा रहा है। स्टालिन ने कहा कि इस प्रकार के रवैये के कारण ही केन्द्रीय कार्यालयों में तमिलनाडु और उत्तर भारतीय राज्यांे के कर्मचारियों का अनुपात बराबर नहीं है। सभी केन्द्रीय कार्यालयों में उत्तर भारतीय राज्योंे के कर्मचारियों की संख्या अधिक है। उन्होंने कहा है कि मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि हमारे संविधान की धारा १६ के तहत सभी नागरिकों को रोजगार और नियुक्ति में बराबर का मौका देने की बात कही गई है। मैं भी आपसे अपील करता हूं कि क्षेत्रीय और अनुमंडल स्तर पर परीक्षा लेने की प्रक्रिया पुनस्र्थापित की जाए ताकि गृह राज्यों में नियुक्ति के दौरान स्थानीय अभ्यर्थियों को मौका दिया जा सके। मैं इस दिशा में आपसे एक सकरात्मक कार्रवाई की उम्मीद करता हूं।

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