शहर में हरियाली बढाने की योजना पर कार्य कर रहा है निगम
शहर में हरियाली बढाने की योजना पर कार्य कर रहा है निगम
चेन्नई। नगर निगम ने रिप्पॉन बिल्डिंग मेंें हरियाली बढाने की योजना को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। निगम मुख्यालय में गमले में पौधे लगाने के साथ ही इसके परिसर में अन्य स्थानों पर भी छोटे ब़डे पे़ड लगाए गए हैं जिससे इस ऐतिहासिक इमारत की खुबसूरती में इजाफा हुआ है और अब निगम कुछ ऐसा ही प्रयोग शहर की गलियोंे के साथ करने की योजना बना रहा है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि पौधों को लगाने से लगातार बदल रहे मौसम के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी। निगम के अधिकारियों के अनुसार शहर के क्षेत्रफल में वर्ष दर वर्ष बढोत्तरी हुई और आबादी भी कई गुणा बढी है लेकिन निगम अपने अधिकार क्षेत्र में हरियाली बढाने में ज्यादा सफल नहीं हो पाया है। यदि शहर में हरियाली बढती है तो गर्मी का असर भी कम होगा।प्रय्ब्द्यर् ृय्द्धय्ख्रर् द्बष्ठ्र ब्रुंश्च ब्स् द्धढ्ढणह्žय्द्यर्पिछले दो दशकों में चेन्नई के शहरी क्षेत्रों में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष २००७ में शहरी क्षेत्रफल मात्र १.५ प्रतिशत था जोकि वर्ष २०१५ तक बढकर १८.५ प्रतिशत हो गया। मौजूदा समय में शहर में केवल २२ प्रतिशत हरियाली है। बेंगलूरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान ने दीर्घावधि अध्ययन के आधार पर यह बात कही है। इस अध्ययन में भवनों ,खुले स्थानों और जल निकायों में हुए बदलाव के बारे में भी बताया गया है। अध्ययन में चेन्नई मंे हुए शहरी विकास के साथ ही उपनगरीय इलाकों के विकास के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है। इस अध्ययन के अनुसार चेन्नई और इसके उपनगरीय इलाकों में जमीन का काफी न्यायपूर्वक उपयोग करने की जरुरत है और पर्यावरण संरक्षण की नीति और शहरी नीतियों का निर्धारण करने की आवश्यकता है।झ्द्भय्श्चप्द्यह्लय् फ्ैंद्यूय्ह्लय् ·र्ैंय्द्भश्च·र्ैंत्रय्श्चृय्स्द्य फ्ैंख्ट्ठद्म क्वरुप्रय्नगर निगम की इस योजना से शहर में पर्यावरण संरक्षण और हरियाली बढाने के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता काफी खुश हैं। शहरी क्षेत्रों में हरियाली बढाने के लिए काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था के सदस्योंे का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो शहर की गलियां जीवंत हो उठेंगी क्योंकि एक ही समय में सभी पौधों पर एक रंग के फूल खिलेंगे जो दिखने में काफी अच्छे लगेंंगे। हालांकि किस गली में कौन से रंग के फूल के पौधे लगाने हैं इसका चयन करने से पहले उस इलाके की मिट्टी की जांच भी की जानी चाहिए ताकि पौधों का विकास सही ढंग से हो सके और मिट्टी के अनुकूल ही पौधों को लगाया जाना चाहिए। प्रय्ब्द्य ·र्ैंर् ख्यध्द्भह्र द्बष्ठ्र ध्ख्य्ॅ ज्य्ॅैंख्ष्ठ ॅ·र्ैं ज्स्फ्ष्ठ झ्ह्रथ्ेनगर निगम शहर के मुख्य स़डकों से सटी गलियों में एक ही प्रजाति के फूल और पत्तीदार पौधों को लगाने की योजना बना रहा है। ऐसा करने से न सिर्फ शहरवासियों को इन पौधों से छांव मिलेगी बल्कि शहर की गलियों की सुंदरता भी निखरेगी। नगर निगम के अधिकारी शहर की ऐसी गलियों का माप ले रहे हैं जहां कतारबद्ध ढंग से एक ही प्रजाति के पौधों को लगाया जा सकता है। प्राथमिक चरण में ऐसी गलियों और स़डकांे का चयन किया जा रहा है जहां मौजूदा समय में पौधे नहीं है। इन इलाकों में स़डकों के किनार एक ही रंग के फूल वाले पौधों को कतारबद्ध ढंग से लगाया जाएगा। द्मय्ख्यद्य·र्ैंह्र ·र्ैंह् द्भह्ज्द्मय् ·र्ष्ठैंफ्र्ड्डैंध् ब्ह्द्मष्ठ झ्द्य फ्ैंख्रष्ठब्हालांकि शहर के नागरिकों को नगर निगम की योजना के सफल होने पर संदेह भी है। कुछ नागरिक संघ के सदस्यों का कहना है कि नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अक्सर इस प्रकार की योजनाएं शुरु करने के लिए अपने मातहत कर्मचारियों को कहा जाता है और इस दिशा में थो़डा बहुत काम भी शुरु होता है लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मचारी इन कार्यों को सही ढंग से नहीं कर पाते हैं। अक्सर ही निगम द्वारा विभिन्न अवसरों पर पौधे लगाए जाते हैं लेकिन समुचित देखरेख के अभाव में या तो यह पौधे सूख जाते हैं या फिर नगर निगम के कर्मचारी पौधे लगाते वक्त स़डकों के किनारे बिछाए गए भूमिगत केबलों को ही नजरअंदाज कर देते हैं और केबल को ठीक करने के दौरान इन पौधों को नुकसान पहुंचता है या फिर ऐसे पौधे हटा दिए जाते हैं। नागरिकों का कहना है कि इय योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए निगम को शहर के नागरिकों से भी मदद लेनी चाहिए।