कर्नाटक में सूखा और पाठ्यपुस्तकों के वितरण के बीच संबंध है : तनवीर सेट

कर्नाटक में सूखा और पाठ्यपुस्तकों के वितरण के बीच संबंध है : तनवीर सेट

बेंगलूरु। राज्य में सूखे की स्थिति और छात्रों के लिए पाठ्य पुस्तकों के वितरण के बीच संबंध क्या है? हालांकि सवाल हास्यास्पद लगता है, लेकिन प्राथमिक शिक्षा मंत्री तनवीर सेट ने इसके जवाब में कहा कि हां, इनके बीच सम्बन्ध है। कर्नाटक विधानसभा में पूर्व शिक्षा मंत्री विश्वेश्वर हेग़डे कागेरी के एक सवाल के जवाब में सेट ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि सूखे के चलते कागज निर्माण कार्य प्रभावित हुआ और अंततः कुछ प्रकाशन एजेंसियों को बंद कर दिया गया, जिनको पाठ्य पुस्तकों की छपाई का काम सौंपा गया था। शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कागेरी ने कहा कि छात्र पाठ्य पुस्तकों के बिना स्कूल जा रहे हैं। स्कूल खुले लगभग एक महीने हो गया है। ऐसा लगता है कि पाठ्य पुस्तकों को अभी तक छापा नहीं गया है। उन्होंने कहा कि स्कूलों के शुरू होने के बावजूद ५० फीसदी पाठ्य पुस्तकों का वितरण नहीं किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रकाशकों को पहले ही भुगतान कर दिया गया हैै, जबकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। उन्होंने यह भी आरोप लगाते हुए कहा कि आखिरी समय में पाठ्यक्रम को बदलने की सरकार की नीति ने भ्रम उत्पन्न कर दिया। हालांकि सेट ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पाठ्य पुस्तकों को वितरित करने के लिए उपाय किए गए हैं और आश्वासन दिया कि इनको जल्द से जल्द वितरित किया जाएगा। राज्य सूखे से जूझ रहा है जिसके नतीजे में पानी की गंभीर कमी थी। कई प्रकाशन कंपनियों को बंद कर दिया गया है। मंत्री ने कहा कि विभाग ने सेंट्रल पेपर कंपनी से कागज खरीदा और पाठ्य पुस्तकों की प्रिंटिंग सुनिश्चित की है। हालांकि, कागेरी मंत्री के इस तर्क से संतुष्ट नहीं थे। अध्यक्ष केबी कोलीवाड ने हस्तक्षेप कर दोनों को शांत किया।

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