17 विद्रोही विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने से येड्डीयुरप्पा के विश्वास मत की बाधा दूर

17 विद्रोही विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने से येड्डीयुरप्पा के विश्वास मत की बाधा दूर

भाजपा विधायकों की एक बैठक में मुख्यमंत्री बीएस येड्डीयुरप्पा का स्वागत किया गया।

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक विधानसभा के 17 विद्रोही विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के बाद अब राज्य के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री बी.एस. येड्डीयुरप्पा के लिए सोमवार को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने में कोई बाधा नहीं होगी। विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेशकुमार ने रविवार को कांग्रेस के ११ तथा जनता दल के 3 सहित कुल 14 विद्रोही विधायकों को अयोग्य ठहराने का अपना निर्णय घोषित कर दिया। गौरतलब है कि इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस के 2 तथा एक निर्दलीय विधायक को अयोग्य घोषित कर चुके हैं।

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इस तरह से कुल 17 विद्रोही विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण अयोग्य ठहराया गया है, जिन्होंने विधानसभा की सदस्यता से अपना इस्तीफा देकर कांगे्रस-जनता दल (एस) गठबंधन सरकार को संकट में डाल दिया था। इन विधायकों के इस्तीफे के कारण गठबंधन सरकार सदन में अपना बहुमत साबित नहीं कर सकी और उसे सत्ता से बाहर हो जाना प़डा। विद्रोही खेमे के 17 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्य ठहराये जाने के बाद अब राज्य विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 225 से घटकर 208 पर आ गई है।

विधानसभा में भाजपा के अपने 105 सदस्य हैं तथा एक अन्य निर्दलीय सदस्य ने अपने समर्थन की घोषणा की है। इसलिए भाजपा को सोमवार को सदन में अपना बहुमत साबित करने में कोई समस्या नहीं होगी। जबकि विधानसभा अध्यक्ष सहित कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 66 तथा जनता दल (एस) के 34 सदस्यों के साथ कुल सदस्य संख्या 100 रह गयी है। ऐसी स्थिति में सदन में सोमवार को विश्वास मत की स्थिति में विपक्ष पर सत्ता पक्ष भाजपा की बढ़त स्पष्ट दिखाई देती है।

कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई आर. वाला ने नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री बी.एस. येड्डीयुरप्पा को सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा है।विद्रोही विधायकों को अयोग्य ठहराने के बाद संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा कि सोमवार को सदन में विश्वास मत की प्रक्रिया पूरी होने के तत्काल बाद वर्ष 2019-20 के लिए वित्त विधेयक को मंजूरी देने हेतु सदन के पटल पर रखा जाएगा।

विधानसभा अध्यक्ष के इस निर्णय के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्दरामैया ने कहा कि वे विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का स्वागत करते हैं। यह एक ऐतिहासिक निर्णय है, जिसने लोकतांत्रिक मूल्यों को कायम रखा है। हालाँकि पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता गोविन्द कारजोल ने विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को गैरकानूनी करार देते हुए कहा है कि यह निर्णय कानून की अदालत में नहीं ठहर पाएगा। उन्होंने ध्यान दिलाया कि उच्चतम न्यायालय ने विद्रोही विधायकों की याचिका पर अपने अंतरिम आदेश में यह स्पष्ट रूप से कहा है कि विद्रोही विधायकों को विधानसभा में उपस्थित रहने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।

विद्रोही विधायक एवं जनता दल (एस) के पूर्व अध्यक्ष ए.एच. विश्वनाथ ने विद्रोही विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधित विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर पक्षपातपूर्ण निर्णय लिया है तथा उनके इस निर्णय पर उच्चतम न्यायालय में सवाल उठाया जाएगा।

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