इंजीनियरिंग काउंसलिंग पर रोक लगाने से उच्च न्यायालय का इंकार

इंजीनियरिंग काउंसलिंग पर रोक लगाने से उच्च न्यायालय का इंकार

चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के स्व वित्तपोषित इंजीनियरिंग कॉलेजों में पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सिंगल विंडो काउंसलिंग पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर अंतरिम आदेश देने से गुरुवार को इनकार कर दिया। याचिका तिरूनेलवेली के अन्ना यूनिवर्सिटी सेल्फ फाइनेंसिंग इंजीनियरिंग कॉलेजेज मैनेजमेंट एसोसिएशन ने दायर की थी। याचिका पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार करते हुए न्यायाधीश के रविचंद्रन बाबू ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा, सरकार के अधिकारों में दखलंदाजी का इरादा आप कैसे रख सकते हैं। अदालत ने कहा कि याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश ने इस पर संबद्ध अधिकारियों से जवाब देने का निर्देश देते हुए सुनवाई अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।अदालत ने २२ जून को अन्ना यूनिवर्सिटी के वकील से याचिका पर जवाब देने को कहा था जिसमें सिंगल विंडो काउंसलिंग पर इस आधार पर रोक लगाने की मांग की गई थी कि बीते कुछ वर्षों में ब़डी संख्या में सीटें रिक्त रही हैं। याचिकाकर्ता चाहता था कि विभिन्न कॉलेजों को रिक्त सीटें अपने स्तर पर भरने की अनुमति दी जाए। याचिकाकर्ता एसोसिएशन ने न्यायालय को बताया था कि अन्ना विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित होने वाला तमिलनाडु इंजीनियरिंग दाखिला मौजूदा समय में अव्यवहारिक नहीं है। इस काउंसलिंग की प्रक्रिया में शैक्षणिक संस्थानों को अपनी छूटी हुई सीटों को भरने का मौका नहीं मिलता। प्रत्येक सीट रिक्त होने पर कॉलेजों पर बोझ बढता है।सात जून को इस एसोसिएशन ने सरकार को भी लिखा था और पिछले वर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों में एक लाख से अधिक सीटों के रिक्त होने की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया था। एसोसिएशन ने सरकार से कहा था कि अगर इस वर्ष भी काउंसलिंग सरकार द्वारा निर्धारित समय के अनुसार होती है तो भारी संख्या में इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटें रिक्त रह जाएंगी। इसके साथ ही इसके द्वारा सरकार से अनुरोध किया गया था कि इंजीनियरिंग कॉलेजों को अपने स्तर पर सीटों को भरने की अनुमति दी जाए। हालांकि सरकार की ओर से इसकी अनुमति नहीं दी गई।सरकार की ओर से स्व वित्तपोषित कॉलेजों को अपने यहां रिक्त सीटों को भरने की अनुमति नहीं मिलने के बाद इन कॉलेजों के एसोसिएशन ने यह याचिका दायर की थी। ज्ञातव्य है कि स्व वित्तपोषित कॉलेजों द्वारा अपने यहां विद्यार्थियों को दाखिला दिलवाने के लिए कई हथकंडे अपनाए जाते हैं। इसके साथ ही इन कॉलेजों द्वारा विद्यार्थियों को दाखिला देने के लिए डोनेशन के तौर पर मोटी रकम भी ली जाती है। कई स्व वित्तपोषित कॉलेजों द्वारा अपने प्रोफेसरों पर भी विद्यार्थियों को लाने के लिए दबाव बनाया जाता है। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा की जा रही इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।द्धँ इस संबंध में स्व वित्त पोषित कॉलेजों के संघ की ओर से याचिका दायर की गई थी।बिअदालत ने कहा कि स्व वित्त पोषित कॉलेजों को इस संबंध में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।ि

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