आजाद के पत्र पर गहलोत का पलटवार- 42 साल से बिना पद नहीं रहे, उनके शब्द अनुचित और ...!
गहलोत ने ट्वीट किया, ‘ग़ुलाम नबी आज़ाद के फ़ैसले और वक्तव्य को पढ़कर मुझे अफ़सोस है'
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद बयानों का दौर शुरू हो गया है। एक ओर जहां कांग्रेस नेता उनके इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं, वहीं भाजपा इस पर तंज कर रही है। ट्विटर पर भी यह मामला चर्चा में है और आजाद ट्विटर ट्रेंड्स में छाए हुए हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने आजाद के इस्तीफे पर अफसोस जताया है। उन्होंने उनके शब्दों को समझ से परे बताया है।गहलोत ने ट्वीट किया, ‘ग़ुलाम नबी आज़ाद के फ़ैसले और वक्तव्य को पढ़कर मुझे अफ़सोस है। कांग्रेस ने उनको सम्मान और पहचान दी। बयालीस साल से वह बिना पद के नहीं रहे। उनके शब्द अनुचित हैं, मेरी समझ से परे हैं।’
वहीं, जी 23’ में शामिल रहे पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने आजाद को लिखे पत्र में कहा, ‘आपका पत्र पढ़ने के बाद हताशा और दुर्भाग्यवश विश्वासघात का भाव देता है।’ उन्होंने लिखा, ‘हमने पार्टी के भीतर सुधार का बैनर उठाया था, विद्रोह का नहीं।’
दीक्षित के अनुसार, ‘पार्टी छोड़ने से दुर्भाग्यवश उन नीतियों, व्यवस्था और व्यक्तियों को मजबूती मिलेगी जिनके चलते हमने पार्टी के भीतर सुधार के लिए पत्र लिखा था।’
‘आजाद के बिना कांग्रेस और कमजोर होगी, लेकिन आज त्यागपत्र लिखने वाले गुलाम नबी आजाद वह नहीं हैं जिन्होंने कभी ‘जी 23’ का पत्र लिखा था।’