एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में जाने से घबराया पाकिस्तान, इसलिए कसा हाफिज पर शिकंजा!
एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में जाने से घबराया पाकिस्तान, इसलिए कसा हाफिज पर शिकंजा!
नई दिल्ली/भाषा। लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को जेल भेजने का फैसला कितना प्रभावी साबित होता है, यह वक्त ही बताएगा क्योंकि यह फैसला पाकिस्तान की धरती पर सक्रिय आतंकी नेटवर्क के खिलाफ इस्लामाबाद की कार्रवाई की वैश्विक निगरानी संस्था द्वारा समीक्षा किए जाने के महज कुछ दिन पहले आया है। आधिकारिक सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह कहा।
पाकिस्तान की एक अदालत ने 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद को आतंक के वित्तपोषण के दो मामलों में बुधवार को 11 साल जेल की सजा सुनाई। अदालत का यह फैसला वैश्विक आतंक निरोधी निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की पेरिस में होने वाली बैठक से महज चार दिन पहले आया है। बैठक का उद्देश्य यह देखना है कि देश में आतंकी समूहों पर लगाम लगाने के लिए तय कार्ययोजना का पाकिस्तान ने कितना पालन किया है।पिछले वर्ष एफएटीएफ ने पाकिस्तान से कहा था कि फरवरी 2020 तक वह अपनी आतंक निरोधी योजना को पूर्ण रूप से लागू करे अथवा कड़ी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहे। आतंक के वित्त पोषण पर रोक लगाने में नाकाम रहे पाकिस्तान को एफएटीएफ ने देशों की ‘ग्रे सूची’ में पहले से डाल रखा है। भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि आतंक को समर्थन खत्म करना पाकिस्तान के लंबित अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का हिस्सा है और अब यह देखना होगा कि हाफिज सईद को दी गई सजा कितनी प्रभावी साबित होती है।
पाकिस्तान में आए फैसले पर भारत सरकार के आकलन के बारे में एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, ‘ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह फैसला एफएटीएफ की बैठक से ठीक पहले आया है। इसलिए यह कितना प्रभावी रहता है यह देखने बात होगी।’ सूत्रों ने कहा कि यह भी देखना होगा कि पाकिस्तान अपनी धरती में सक्रिय अन्य आतंकी संगठनों और आतंकवदियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है या नहीं।