
ऐसा था अपराधी विकास दुबे का दबदबा, जेल में रहते भी जीता चुनाव
ऐसा था अपराधी विकास दुबे का दबदबा, जेल में रहते भी जीता चुनाव
कानपुर/भाषा। कुख्यात अपराधी एवं कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह कानपुर के भौती इलाके में कथित पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। दुबे ने रियल इस्टेट में हाथ आजमाए, जिला स्तर का एक चुनाव भी जीता और राजनीतिक हस्तियों के साथ भी नजर आया।
अपने क्षेत्र में दबदबा बनाने वाला दुबे पिछले शुक्रवार को उस वक्त सुर्खियों में आया जब उसके खिलाफ कार्रवाई करने गए आठ पुलिसकर्मियों पर गोलियों की बौछार करते हुए उन्हें मौत के घाट उतारने की सनसनीखेज घटना हुई।
इस घटना के कुछ ही घंटों बाद विकास दुबे की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी, जिसमें वह एक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री के साथ दिखाई दे रहा था। कांग्रेस ने दावा किया था कि यह दिखाता है कि उसे राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है।
इसके अलावा, एक अन्य तस्वीर में दुबे जिला पंचायत के चुनाव में अपनी पत्नी रिचा दुबे के लिए वोट मांगते हुए दिखाई दे रहा था। रिचा यह चुनाव घिमाऊ से जीती थीं और बिकरू गांव इसी जिला पंचायत के अंतर्गत आता है।
इस पोस्टर में दो नेताओं की भी तस्वीरें हैं जो दिखाती है कि कुख्यात अपराधी की पत्नी को भी नेताओं का समर्थन था। ये दोनों अब विपक्ष में हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, वर्ष 2000 में दुबे ने जेल में रहते हुए खुद भी जिला पंचायत चुनाव में शिवराजपुर सीट से जीत हासिल की थी। उस दौरान वह हत्या के मामले में जेल में बंद था। दुबे की गिरफ्तारी के बाद उसकी मां सरला देवी ने कहा था, ‘इस वक्त वह भाजपा में नहीं है, वह सपा में है।’
इस पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि दुबे, ‘पार्टी का सदस्य नहीं है’ और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और जैसा कि पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मांग की है, उसके कॉल डीटेल्स सार्वजनिक किए जाने चाहिए ताकि इस बात का खुलासा हो सके कि उसके किसके साथ संपर्क थे।
पुलिस का दावा है कि दुबे लगभग 60 मामलों में शामिल था लेकिन अधिकारियों से प्राप्त विवरण से पता चलता है कि उसे हत्या जैसे मामलों में भी दोषी नहीं ठहराया गया था।
एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि वह 2001 में यहां शिवली पुलिस स्टेशन के अंदर भाजपा नेता संतोष शुक्ला की हत्या का मुख्य आरोपी था, लेकिन उसकी इतनी दहशत थी कि एक भी पुलिस अधिकारी ने उसके खिलाफ बयान नहीं दिया था।
उन्होंने कहा, अदालत में कोई सबूत पेश नहीं किए गए और साक्ष्यों के अभाव में वह आरोपमुक्त हो गया था। उन्होंने दावा किया कि दुबे जेल के अंदर ही हत्या और अन्य अपराधों की योजना बनाता था और उन्हें अंजाम देता था।
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