पूरा पारिश्रमिक नहीं देने वाले निजी प्रतिष्ठानों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं: न्यायालय
पूरा पारिश्रमिक नहीं देने वाले निजी प्रतिष्ठानों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं: न्यायालय
नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि कोरोना महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान अपने श्रमिकों को पूर्ण पारिश्रमिक नहीं देने वाले निजी प्रतिष्ठानों के खिलाफ जुलाई के अंतिम सप्ताह तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि उद्योगों और श्रमिकों को एक दूसरे की जरूरत है और उन्हें पारिश्रमिक के भुगतान का मुद्दा एक साथ बैठकर सुलझाना चाहिए।पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से निजी प्रतिष्ठानों की याचिका पर अपना आदेश सुनाते हुए राज्य सरकारों से कहा कि वे इस तरह के समाधान की प्रक्रिया की सुविधा मुहैया कराएं और इस बारे में संबंधित श्रमायुक्त के यहां अपनी रिपोर्ट पेश करें।
इस बीच, केन्द्र को गृह मंत्रालय के 29 मार्च के सर्कुलर की वैधता के बारे में चार सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसी सर्कुलर में कहा गया था कि लॉकडाउन के दौरान निजी प्रतिष्ठान अपने कर्मचारियों को पूरा पारिश्रमिक देंगे।
पीठ ने इस सर्कुलर की वैधता को चुनौती देने वाली तमाम कंपनियों की याचिकाओं को अब जुलाई के अंतिम सप्ताह में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया है।