ईरान: सब्र जवाब दे गया
ईरान को इस समय बहुत सावधान रहने की जरूरत है
अगर कोई बड़ा युद्ध हुआ तो पाकिस्तान का दिवालिया होना तय है
पाकिस्तान की आतंकवादी हरकतों से त्रस्त होकर ईरान का भी सब्र जवाब दे गया। उसने बलोचिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले कर पाक को साफ संदेश दे दिया कि अब मामला बर्दाश्त से बाहर जा चुका है। ईरान की इस कार्रवाई के कई मायने निकाले जा सकते हैं। एक तो यह कि अब ईरान सैन्य दृष्टि से काफी सशक्त हो गया है। उसने ड्रोन और मिसाइल तकनीक में इतनी महारत हासिल कर ली है कि अब वह 'पड़ोस' में मौजूद ठिकानों को ध्वस्त कर सकता है। वहीं, पाकिस्तान की हालत 'खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे' वाली हो रही है। उसके परमाणु शक्ति संपन्न होने के दावे की हवा निकल चुकी है। ईरान ने हवाई हमलों से आतंकवादियों के ठिकाने नष्ट कर दिए और पाकिस्तान का परमाणु बम धरा का धरा रह गया! हो सकता है कि अब रावलपिंडी इसका गुस्सा बेकसूर बलोच आबादी पर निकाले। पाकिस्तानी फौज ने अपने मुल्क के हर कोने में आतंकवादियों के अड्डे बना रखे हैं। ये आतंकवादी प्रशिक्षण पाने के बाद ईरान, अफगानिस्तान और भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश करते हैं। यही नहीं, पाक मूल के कई आतंकवादी तो यूरोप और अमेरिका की जेलों में बंद हैं। ईरान ने जैश-अल-अदल नामक जिस आतंकवादी समूह के खिलाफ कार्रवाई की है, वह काफी समय से ईरानी सुरक्षा बलों पर हमले की घटनाओं में लिप्त रहा है। बेहतर होता कि ईरान पहले ही सचेत हो जाता और समय-समय पर ऐसे हवाई हमलों के जरिए आतंकवादियों के ठिकानों पर प्रहार करता रहता। अब तक तो वह पाकिस्तान से 'वार्ता' ही करता रहा है। भारत भी साल 2016 और 2019 में पाकिस्तान में क्रमश: सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक कर चुका है। ये सैन्य कार्रवाइयां जिस बड़े और घातक पैमाने पर की गईं, उनसे रावलपिंडी के होश फाख्ता हो गए थे। भारत के लड़ाकू विमान केपीके में बालाकोट तक चले गए थे और पाकिस्तान की एजेंसियां घोड़े बेचकर सोती रहीं! पाकिस्तान के रडार पता भी नहीं लगा सके।
कुछ ऐसा ही ईरानी सुरक्षा बलों द्वारा किए गए हवाई हमलों के दौरान हुआ। न तो पाकिस्तानी रडार समय पर चेतावनी दे सके और न ही थल सेना, वायुसेना या रेंजर्स को इसकी भनक लगी। सोशल मीडिया पर जरूर कुछ लोगों ने इस बात का जिक्र किया, जिसके बाद पाकिस्तानी सरकार और फौज की नींद टूटी। जब अधिकारी उस जगह पहुंचे, तो उन्हें मलबा और आतंकवादियों की लाशें मिलीं। हालांकि इस बार भी पाकिस्तान ने वही पाखंड किया, जो उसने बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद किया था। वह दावा कर रहा है कि ईरानी हमले से दो बच्चों की मौत हो गई और तीन लड़कियां घायल हो गईं। वास्तव में पाक अब सहानुभूति लेने की कोशिश कर रहा है। वह दुनिया को दिखाना चाहता है कि उस पर बड़ा जुल्म हुआ है। वह अमेरिका से बेहतर सैन्य उपकरण और रडार लेने की कोशिश भी करेगा, चूंकि ईरान और अमेरिका के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। उक्त कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की ओर से जो बयान दिए जा रहे हैं, वे हास्यास्पद हैं। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय कहता है कि ईरान का यह कृत्य उसके ‘हवाई क्षेत्र का अकारण उल्लंघन’ है। क्या पाकिस्तान के पाले हुए आतंकवादियों द्वारा अन्य देशों में किए गए हमले किसी भी तरह का उल्लंघन नहीं है? पाक सरकार और फौज का तो इतिहास ही समझौतों व संधियों के उल्लंघन का रहा है। फिर, यह आशा कैसे कर सकते हैं कि दूसरे देश नियमों का अक्षरश: पालन करेंगे? पाकिस्तान ने ईरान को ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने की चेतावनी दे डाली! सवाल है- अब पाक ऐसा कौनसा कदम उठाएगा, जिसके 'गंभीर परिणाम' होंगे? उसकी अर्थव्यवस्था इस स्थिति में नहीं है कि वह ईरान पर कठोर प्रतिबंध लगा दे। चूंकि ईरान पर पहले ही अमेरिका ने कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। उसने प्रतिबंधों के साथ गुजारा करना सीख लिया है। पाक इस स्थिति में भी नहीं है कि वह ईरान से लंबा युद्ध लड़ सके। इसके लिए उसे भारी मात्रा में ईंधन, सैन्य साजो-सामान की जरूरत होगी। दूसरी ओर, खजाना खाली पड़ा है। महंगाई आसमान छू रही है। अगर कोई बड़ा युद्ध हुआ तो पाकिस्तान का दिवालिया होना तय है। इसके मद्देनजर पाक की कोशिश होगी कि वह ईरान से बड़ी सैन्य भिड़ंत टाले, लेकिन आतंकवादी घटनाएं करवाता रहे। ईरान को इस समय बहुत सावधान रहने की जरूरत है। वह सरहदी इलाकों में गश्त व निगरानी बढ़ाए और अपने यहां पनप रहे आतंकवादी संगठनों को भी नकेल डाले।