चीन में जनाक्रोश
चीन ने दुनिया को कोरोना महामारी बांटी और खुद भी इससे सुरक्षित नहीं रहा
शून्य कोविड नीति बहुत भारी पड़ रही है
चीन के झेंगझोऊ स्थित आईफोन निर्माता कारखाने में तालाबंदी और वेतन विवाद के बाद उग्र कर्मचारियों ने जो हंगामा खड़ा किया, वह अकल्पनीय है। अब तक यही देखा गया है कि चीन में विरोध के स्वर नहीं उठते। अगर उठते भी हैं तो बहुत धीमे। उन्हें फौरन दबा दिया जाता है, लेकिन इस बार मामला हद से ज्यादा आगे बढ़ गया, जो निश्चित रूप से शी जिनपिंग के लिए सिरदर्द से कम नहीं है।
चीन ने दुनिया को कोरोना महामारी बांटी और खुद भी इससे सुरक्षित नहीं रहा। सबसे असरदार वैक्सीन बनाने का दावा करने वाला यह देश आज कई शहरों में सख्त लॉकडाउन का सामना कर रहा है, जो उसके दावे की पोल खोलने के लिए काफी है। अब चीनी लोग सख्ती से तंग आ गए हैं। शून्य कोविड नीति उनके जीवन पर बहुत भारी पड़ रही है।चीनियों को महसूस हो रहा है कि अगर वायरस से नहीं मरे तो भूख और बेरोजगारी से मर जाएंगे, लिहाजा विरोध के स्वर फूट रहे हैं। सोशल मीडिया पर बॉलीवुड गानों की तर्ज पर सरकार से मांग की जा रही है कि उन्हें घरों में बंद कर दिया, अब खाने के लिए कुछ तो दें! ऐपल के जिस कारखाने में कर्मचारी भड़के, वहां भी हालात बदतर हो चले थे। महीनेभर से सख्त पाबंदियां लागू थीं। वेतन का अता-पता नहीं, प्रशासन से कुछ पूछा तो कोई सीधा जवाब नहीं।
जिन कारखानों के दम पर चीन दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता होने का दंभ भरता है, अब उसकी असलियत सामने आनी शुरू हो गई है। लोगों के लिए भोजन और दवाइयों के लाले पड़ गए हैं, लेकिन शी जिनपिंग 'विश्वविजेता' बनने का ख्वाब पाले बैठे हैं, कभी ताइवान को धमकियां देते हैं तो कभी दुनिया को ललकारते मालूम होते हैं।
कोरोना के बाद सभी देशों में चीन की साख को धक्का लगा है। कभी उसकी पहचान दुनिया के कारखाने के तौर पर हुआ करती थी। आज वह कोरोना के निर्माता के तौर पर जाना जाता है। चीन में मानवाधिकारों का रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है। थियानमेन चौक नरसंहार कल की बात लगती है, जब चीन ने अपने हजारों नागरिकों पर फौजी टैंक चढ़ा दिए थे। उसने किसी तरह उस विरोध को कुचल दिया, लेकिन इस बात की भरपूर संभावना है कि भविष्य में उसी स्तर का प्रदर्शन फिर सिर उठा ले।
आज चीन में कोरोना का प्रसार रोकने के लिए जो नीति अपनाई जा रही है, उसमें संवेदनशीलता का घोर अभाव है। पिछले दिनों एक अपार्टमेंट के निवासी सुरक्षा बलों से भिड़ गए थे, क्योंकि उन पर बहुत ज्यादा सख्ती लागू की जा रही थी, घरों में सामान खत्म हो गया था।
ऐपल कारखाने का विरोध प्रदर्शन भी इसी प्रतिक्रिया का हिस्सा है। जब लोगों का धैर्य जवाब दे देगा, वे प्रतिक्रिया उग्र देंगे। जिस दिन चीन की जनता का आक्रोश फूटेगा, चीनी प्रशासन के लिए उस पर काबू पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। आज चीन की स्थिति उस प्रेशर कुकर जैसी है, जिसमें सामग्री भरी हुई है, नीचे आग जल रही है, लेकिन सीटी की जगह बंद कर दी गई है। जब कुकर में भाप का दबाव बर्दाश्त से बाहर हो जाएगा तो उसका परिणाम विनाशकारी धमाके के रूप में सामने आएगा।