डीपफेक की खतरनाक डगर

ऐसे वीडियो का इस्तेमाल आमजन में किसी विचार को स्थापित या मजबूत करने, लोगों को भ्रमित करने के लिए हो सकता है

डीपफेक की खतरनाक डगर

इससे अपराधों की गंभीरता में भी वृद्धि हो सकती है

सोशल मीडिया पर डीपफेक वीडियो का प्रसार विश्वसनीयता का संकट खड़ा कर सकता है। हाल में जिस तरह कुछ मशहूर लोगों के डीपफेक वीडियो वायरल हुए, जब तक उनकी असलियत सामने आई, उनसे कई लोग भ्रमित हो चुके थे। एआई जिस तरह शक्तिशाली होती जा रही है और आम लोगों तक उसकी पहुंच भी बढ़ रही है, उसको ध्यान में रखते हुए यह कहना ग़लत नहीं होगा कि भविष्य में डीपफेक वीडियो की तादाद काफी बढ़ सकती है। ऐसे वीडियो का इस्तेमाल आमजन में किसी विचार को स्थापित या मजबूत करने, लोगों को भ्रमित करने के लिए तो हो ही सकता है। इनसे अपराधों की गंभीरता में भी वृद्धि हो सकती है। भारत में मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाओं का बड़ा बाजार है। पिछले एक दशक में इंटरनेट की वजह से लोगों की ज़िंदगी में बड़े बदलाव आए हैं। लोगों की इंटरनेट तक पहुंच तो बढ़ी है, लेकिन जागरूकता का स्तर उतना नहीं बढ़ा। हाल में फिल्म अभिनेता आमिर खान का जो डीपफेक वीडियो सामने आया, उसे बहुत लोगों ने देखा और साझा किया था। वीडियो में आमिर की आवाज और हावभाव इतने असली लग रहे थे कि लोगों ने उसे सच मान लिया। यूं भी बहुत लोग इंटरनेट के जरिए आई हर चीज को सच मान लेते हैं! आश्चर्य की बात है कि उस वीडियो को कुछ ऐसे नेताओं ने भी साझा किया, जिनके बारे में आम धारणा है कि ये किसी चीज को बहुत देख-परखकर ही आगे बढ़ाते हैं। हालांकि बाद में आमिर खान ने उस वीडियो का खंडन करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई।

निस्संदेह एआई का उपयोग मानवता के कल्याण के लिए किया जाए तो यह बहुत बड़ा वरदान साबित हो सकती है, लेकिन इसके खतरे भी कम नहीं हैं। रश्मिका मंदाना, सचिन तेंदुलकर के बाद अब रणवीर सिंह का एक वीडियो डीपफेक के ऐसे खतरों का संकेत देता है। देश में साइबर ठगी के इतने मामले सामने आ रहे हैं, जिनसे हर साल आम जनता को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। वहीं, पुलिस और जांच एजेंसियों पर भी भार बढ़ता जा रहा है। अधिकारी आम जनता को जागरूक करने के लिए जो सुझाव देते हैं, उससे पहले ही साइबर अपराधी ठगी का दूसरा रास्ता निकाल लेते हैं। जब साइबर ठग एआई में महारत हासिल करने के बाद डीपफेक वीडियो बनाएंगे तो भारी नुकसान करेंगे। इससे आम लोगों की ज़िंदगीभर की कमाई मिनटों में लूटकर अपराधों को नए स्तर पर पहुंचाया जा सकता है। निश्चित रूप से साइबर अपराधी अभी इस फिराक में होंगे। ऐसे कुछ मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा भारतविरोधी एजेंसियां इसका दुरुपयोग कर सकती हैं। ऐसे में सुरक्षा बलों से जुड़े कर्मियों को जरूर जागरूक करना चाहिए। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई 'हनीट्रैप' जैसे हथकंडों के लिए कुख्यात है। भारत में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जब आईएसआई की एजेंटों ने सोशल मीडिया पर खुद को भारतीय बताकर लोगों से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी हासिल की। उनके निशाने पर आम लोगों से लेकर सुरक्षा बलों के जवान, उच्चाधिकारी और वैज्ञानिक तक थे। डीपफेक से हनीट्रैप का हथकंडा कालांतर में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। इससे शत्रु एजेंसियों का काम आसान हो जाएगा! अब तक हनीट्रैप के जो मामले सामने आए, उनमें शत्रु एजेंटों की भाषा, लहजे, पहनावे, परिवेश पर ध्यान दिया जाए तो उनकी असलियत का काफी हद तक अंदाजा लगाया जा सकता है। डीपफेक से यह बहुत मुश्किल हो जाएगा। इसलिए आधुनिक तकनीक के इस पक्ष को काफी गंभीरता से लेते हुए समयानुसार प्रासंगिक कदम जरूर उठाने चाहिएं।

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