चितौड़गढ़ के सांवलिया सेठ को व्यवसाय में भागीदार बनाते हैं लोग
कहा जाता है कि सांवलिया सेठ मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल हैं, जिनकी वह पूजा किया करती थीं
मंदिर के गर्भगृह में सेठ सांवलिया जी की काले पत्थर की बनी प्रतिमा स्थापित है
चितौड़गढ़/दक्षिण भारत। क्या आप कभी राजस्थान के चितौड़गढ़ के निकट स्थित सांवलिया सेठ मंदिर के दर्शन करने गए हैं? यह मंदिर चित्तौड़गढ़ सॆ उदयपुर की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 28 किमी दूरी पर भादसोड़ा ग्राम में स्थित है।
इसे "सांवरिया सेठ" का मंदिर भी कहते हैं। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी की दूरी पर है। यह अत्यंत प्रसिद्ध मंदिर है। सांवलिया सेठ के बहुत से भक्तगण व्यापार तक में उन्हें अपना हिस्सेदार बनाते हैं।
पिछले कुछ बरसों से सांवलिया सेठ मंदिर का विस्तार कार्य चल रहा है, हालांकि मंदिर बहुत बड़े भाग में फैला है। इसमें मुख्य मंदिर के दोनों ओर बरामदों में दीवारों पर बेहद आकर्षक चित्रकारी की गई है।
यहां विशेषकर उत्तर-पश्चिमी भारत के राज्य जैसे मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। वर्ष 1961 से इस प्रसिद्ध मंदिर पर देवझूलनी एकादशी पर विशाल मेले का आयोजन हो रहा है।
यह मंदिर गुलाबी बलुआ पत्थर से निर्मित है। मंदिर के गर्भगृह में सेठ सांवलिया जी की काले पत्थर की बनी प्रतिमा स्थापित है। सांवलिया सेठ मंदिर की वास्तुकला प्राचीन हिंदू मंदिरों से प्रेरित है। मंदिर की दीवारों और खम्भों पर सुंदर नक्काशी की गयी है।
ऐसी मान्यता है कि सांवलिया सेठ का संबंध मीरा बाई से है। कहा जाता है कि सांवलिया सेठ मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल हैं, जिनकी वह पूजा किया करती थीं।
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