मुसलमान लिव-इन रिलेशनशिप के अधिकारों का दावा नहीं कर सकते: उच्च न्यायालय
इस्लाम किसी विवाहित व्यक्ति के लिए लिव-इन रिलेशनशिप की अनुमति नहीं देता है
Photo: allahabadhighcourt.in
लखनऊ/दक्षिण भारत। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में महत्त्वपूर्ण टिप्पणी की है।
उसने एक फैसला सुनाते हुए कहा कि मुसलमान लिव-इन रिलेशनशिप के अधिकारों का दावा नहीं कर सकते। पीठ ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि इस्लाम किसी विवाहित व्यक्ति के लिए लिव-इन रिलेशनशिप की अनुमति नहीं देता है।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति एके श्रीवास्तव की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के निवासी स्नेहा देवी और मोहम्मद शादाब खान की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।
Lucknow bench of Allahabad High Court rules that
— ANI (@ANI) May 9, 2024
Muslims cannot claim the rights of a live-in relationship as Islam does not allow live-in relationship for a married man
The Lucknow bench of Justice AR Masoodi and Justice AK Srivastava said this while hearing the writ petition…
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि वे लिव-इन रिलेशनशिप में हैं, लेकिन महिला के परिवार ने शादाब के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि उसने उनकी बेटी का अपहरण कर लिया और उससे शादी कर ली।
बता दें कि लिव-इन रिलेशनशिप के बाद गंभीर अपराधों की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कई बार देखा गया है कि प्रारंभिक प्रेम-प्रसंग से उपजे इन संबंधों का बाद में बहुत कड़वे और भयानक तरीके से अंत हुआ।
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