बेलगावी/दक्षिण भारत। कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा मौजूदा ग्रामीण रोजगार कानून मनरेगा को बदलने के कदम और नेशनल हेराल्ड मामले में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ कथित 'नफरत की राजनीति' के विरोध में विशाल प्रदर्शन किया।
यहां सुवर्णा विधान सौधा में गांधी प्रतिमा के सामने मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के नेतृत्व में हुए इस विरोध प्रदर्शन में मंत्रियों, विधायक और विधान परिषद के सदस्यों ने भाग लिया।
यहां पत्रकारों से बात करते हुए, बड़े और मध्यम उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने आरोप लगाया कि भाजपा इस योजना की सफलता को समझ नहीं पा रही थी, इसलिए अब इसका नाम बदल दिया है।
उन्होंने कहा, 'इतनी सफल योजना, जो पहले से मौजूद थी, की शुरुआत डॉ. मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की थी। यह बेहद सफल रही, स्थानीय स्तर पर रोजगार प्रदान करती थी उन लोगों को जो अन्य राज्यों या गांवों में काम के लिए नहीं जा सकते थे। साथ ही, गांवों में विकास भी होता था।'
उनके अनुसार, यह भारत के इतिहास की सबसे सफल योजना थी। भाजपा इसे बर्दाश्त नहीं कर सकी और उन्होंने अब इसका नाम बदल दिया है।
उन्होंने कहा, 'जब इस योजना में पहले से ही महात्मा गांधी का नाम मौजूद था— स्वतंत्रता दिलाने वाले राष्ट्रपिता का नाम— तो गांधी का नाम क्यों हटाया गया? भाजपा बेताब है; वे इस योजना की सफलता को बर्दाश्त नहीं कर सके, और वे इतने नीच स्तर तक गिर गए।'
राज्य के जिला और तालुका केंद्रों पर भी इसी तरह के प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बनाई गई है। पार्टी यहां राज्य विधानमंडल में भी इन मुद्दों को उठाने की योजना बना रही है।
कांग्रेस का यह कदम ऐसे समय पर आया है जब विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल, 2025 लोकसभा में पेश किया गया। यह मौजूदा ग्रामीण रोजगार कानून मनरेगा की जगह लेगा। यह बिल महात्मा गांधी का नाम हटाने के विरोध में विपक्ष की कड़ी आपत्तियों के बीच पेश किया गया है।