ईवीएम पर कांग्रेस को नड्डा का जवाब- '2004 व 2009 में इसी के जरिए चुनावों में कांग्रेस के प्रधानमंत्री बने थे'

चुनाव सुधारों पर राज्यसभा में बोले नड्डा

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नई दिल्ली/दक्षिण भारत। चुनाव सुधारों पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार को भाषण दिया। उन्होंने कहा कि भारत के चुनाव आयोग ने रिफॉर्म्स के साथ जो लंबी यात्रा की है और उस लंबी यात्रा में शुचिता के साथ देश में एक के बाद एक चुनाव कराता चला गया। इसके लिए पूरे सदन की ओर से चुनाव आयोग को बहुत-बहुत बधाई।

उन्होंने कहा कि 140 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले देश में चुनाव कराना और उनके मत की हिफाजत के साथ गणना कर परिणाम घोषित करना, यह कोई छोटी घटना नहीं है। यह दुनिया में अद्वितीय है।

जेपी नड्डा ने कहा कि दशकों तक चुनाव आयोग की कार्य-पद्धति और काम को देखने की जिम्मेदारी एक पार्टी पर थी और वह पार्टी लंबे समय तक सत्ता में थी। वह पार्टी भी एक परिवार के पास थी। तब तो चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर कोई सवाल नहीं खड़ा किया गया।

जेपी नड्डा ने कहा कि एसआईआर पर पिछले चार महीने में देश में एक वातावरण बनाने का प्रयास किया गया कि जैसे कोई धांधली हो रही है। आप (कांग्रेस) जैसी जिम्मेदार पार्टी रैली निकालती है और उस रैली की शब्दावली, 'वोट चोरी, वोट चोर' ...। 

जेपी नड्डा ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस, जवाहर लाल नेहरू, पुरुषोत्तम दास टंडन, सरदार पटेल जैसे नेताओं के संकल्प को पढ़िए और आज उसी कांग्रेस पार्टी के नारे सुनिए, तो पता चलता है कि कितना पानी बह चुका है।

जेपी नड्डा ने कहा कि एसआईआर साल 1952 में हुआ, तब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। साल 1957 में हुआ, तब भी प्रधानमंत्री नेहरू थे। साल 1961 में हुआ, तब भी प्रधानमंत्री नेहरू थे। साल 1965–66 में हुआ, तब प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे। साल 1983–84 में हुआ, तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं। साल 1987–89 में हुआ, तब प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। साल 1992–95 में हुआ, तब प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव थे। साल 2002–03 में हुआ, तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। साल 2004 में हुआ, तब प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे।

जेपी नड्डा ने कहा कि ये (कांग्रेस) पूछते हैं कि एसआईआर क्यों? यह एसआईआर कोई नया नहीं है। यह लोकतंत्र में साल 1952 से शुरू हुआ था। जो चुनाव के नतीजे आए हैं, वे आपको (कांग्रेस) तकलीफ जरूर देते हैं। आप दवा कहीं और लगा रहे हैं, लेकिन मर्ज कहीं और है। आपको अपना मर्ज ढूंढ़ना पड़ेगा।

जेपी नड्डा ने कहा कि सिर्फ अपने कैडर को शांत करने के लिए यह भ्रम फैलाना कि हम चुनाव इसलिए हार रहे हैं क्योंकि चुनाव आयोग गड़बड़ी कर रहा है, मुझे लगता है कि यह आप पार्टी के इंटरेस्ट में देश के इंटरेस्ट के साथ समझौता कर रहे हैं।

जेपी नड्डा ने कहा कि आपने (कांग्रेस) चुनाव आयोग के साथ-साथ ईवीएम पर भी सवाल उठा दिया। ईवीएम भी तो राजीव गांधी के काल में ही आई थी। ईवीएम पूरे ट्रायल और लीगल चेंज के साथ आई। साल 2004 और 2009 का चुनाव भी ईवीएम के ही माध्यम से हुआ था, जिसमें यूपीए की जीत हुई थी और कांग्रेस के प्रधानमंत्री बने थे।

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