दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की वजह से लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। देश के कई शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर बिगड़ रहा है। इस समस्या का जल्द ठोस समाधान करना होगा। वायु प्रदूषण उन लोगों के लिए ज्यादा घातक है, जिन्हें पहले ही सांस संबंधी बीमारियां हैं। अस्थमा के रोगी जाएं तो कहां जाएं? लगातार प्रदूषित हवा में सांस लेने से दिल, दिमाग और अन्य अंगों पर भी असर पड़ता है। पहले, स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते थे कि सुबह की हवा में गहरी सांस लें, भ्रमण करने जाएं, पार्क में व्यायाम करें। अब वे इन कार्यों से बचने की सलाह दे रहे हैं। यह स्थिति एक-दो साल में नहीं आई है। पर्यावरण विशेषज्ञ तो नब्बे के दशक से ही चेतावनी दे रहे थे कि वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। तब से अब तक दिल्ली वालों ने कांग्रेस, 'आप' और भाजपा को वोट देकर परख लिया। हवा की गुणवत्ता सुधारने के वादे हवा-हवाई ही साबित हुए। सरकारों की भी मजबूरी है। अगर वे कह दें कि पुराने वाहनों को चलाने की अनुमति नहीं होगी, तो लोग सड़कों पर उतरकर आंदोलन छेड़ देंगे। जनता-जनार्दन को नाराज करने का जोखिम कोई सरकार नहीं ले सकती। तो समाधान क्या है? क्या दिल्ली की हवा कभी नहीं सुधर सकती? इस समस्या का समाधान संभव है। बस, सरकार और जनता, दोनों को आगे आना होगा। अकेली सरकार कुछ नहीं कर सकती। चूंकि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है, अब दिल्ली में पैदा होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने की बारी है।
सबसे पहले, सड़कों पर डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की संख्या को नियंत्रित करना होगा। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए। पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाए। कंपनियां 'वर्क फ्रॉम होम' को प्रोत्साहित करें। जहां यह व्यवस्था संभव हो, वहां कंपनियां हफ्ते या पखवाड़े में एक दिन कर्मचारियों को दफ्तर बुलाएं। बाकी दिन उन्हें घरों से काम करने दें। कई लोग सुबह-सुबह कचरा जलाते हैं, जिससे बहुत धुआं पैदा होता है। उन्हें लगता है कि वे इससे सफाई में योगदान देते हैं, लेकिन वे असल में प्रदूषण बढ़ाते हैं। इन गतिविधियों को सख्ती से रोकना चाहिए। दिल्ली में साफ हवा को बढ़ावा देने के लिए साइकिल को बढ़ावा देना होगा। जो लोग साइकिल चलाएं, उन्हें पर्यावरण का हितैषी घोषित किया जाए। ऐसे लोगों को वेतन बढ़ोतरी और अतिरिक्त सुविधाएं दी जाएं। यह उसी स्थिति में संभव है, जब सड़कें अनुकूल हों। अगर भारी वाहन दनदनाते फिरेंगे तो साइकिल सवारों को खतरा रहेगा। सड़क पर साइकिल चलाने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए। वहां अन्य वाहन बिल्कुल न आएं। ये सारे नियम सिर्फ आम आदमी के लिए न हों। नेता और अधिकारी भी यथासंभव पालन करें। हालांकि कर्तव्य की गंभीरता के कारण हर व्यक्ति के लिए ऐसा करना संभव नहीं है। वे कम से कम इतना तो कर सकते हैं कि उनके परिजन सादगी बरतें। उदाहरण के लिए, किसी विभाग में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी के लिए जरूरी है कि वे अपनी कार से दफ्तर जाएं, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि उनके परिवार का कोई सदस्य अनावश्यक रूप से वाहन लेकर न जाए। वे उन्हें सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने के लिए कहें। दिल्ली पर आबादी का बहुत ज्यादा दबाव है। रोजगार के लिए हर राज्य से लोग वहां जाते हैं। अगर लोगों को उनके इलाकों में रोजगार उपलब्ध हो तो दिल्ली को कई समस्याओं से निजात मिल जाए।