मुंबई/दक्षिण भारत। आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि को और मजबूती देने के प्रयास में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती कर इसे 5.25 प्रतिशत कर दिया है। वर्तमान वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि बढ़कर छह तिमाहियों के उच्च स्तर 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।
इससे आवास, ऑटो और वाणिज्यिक ऋणों सहित विभिन्न प्रकार के ऋणों के सस्ता होने की उम्मीद है।
वर्तमान वित्त वर्ष के लिए पांचवीं द्वैमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लघु अवधि की उधारी दर या रेपो दर को 25 आधार अंकों की कटौती कर 5.25 प्रतिशत करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया है। यह निर्णय तटस्थ रुख के साथ किया गया है।
यह दर कटौती उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के पिछले तीन महीनों से सरकार द्वारा निर्धारित 2 प्रतिशत की निचली सीमा से नीचे रहने के कारण की गई है।
भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर 2025 में गिरकर 0.25 प्रतिशत के ऐतिहासिक निम्न स्तर पर पहुंच गई, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक सीरीज की शुरुआत के बाद से सबसे कम है। इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था ने दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की अपेक्षा से बेहतर जीडीपी वृद्धि दर्ज की है।
हालांकि, रुपए में गिरावट जारी रही है। इस सप्ताह की शुरुआत में यह ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचते हुए प्रति डॉलर 90 के पार चला गया, जिससे आयात महंगा होगा और मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंकाएं पैदा हो गई हैं।
आरबीआई ने वर्तमान वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान को पहले के 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है।
सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा है कि सीपीआई-आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत पर बनी रहे, जिसके दोनों ओर 2 प्रतिशत का उतार-चढ़ाव (मार्जिन) स्वीकार्य है।