'संचार साथी' पर हंगामा क्यों?

विपक्ष इस ऐप को 'जासूसी' से जोड़कर देख रहा है

'संचार साथी' ऐप के साथ कोई अनिवार्यता नहीं जुड़ी है

मोबाइल फोन में 'संचार साथी' ऐप को लेकर मचे हंगामे के बीच केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कई सवालों के जवाब देकर स्थिति साफ कर दी है। आज लोग निजता और डेटा सुरक्षा के संबंध में बहुत जागरूक हो गए हैं, लिहाजा उनकी आशंकाओं का निवारण करने के बाद ही कोई कदम उठाना चाहिए। विपक्ष इस ऐप को 'जासूसी' के प्रयास से जोड़कर देख रहा है। पूर्व में कई ऐप्स पर डेटा लीक और जासूसी के गंभीर आरोप लगे हैं। ऐसे में लोग किसी ऐप पर सवाल उठाएं तो उन्हें संतोषजनक जवाब मिलना चाहिए। इस ऐप पर छाया संदेह का कोहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया के जवाबों के बाद छंट जाना चाहिए। 'संचार साथी' ऐप के साथ कोई अनिवार्यता नहीं जुड़ी है। कोई व्यक्ति यह ऐप रखना चाहे तो अपने फोन में रखे या उसे डिलीट कर दे। वास्तव में यह मुद्दा निजता के साथ ही ग्राहक सुरक्षा का भी है। देश में ज्यादातर लोगों को इसके बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। अगर फोन खो जाए तो क्या करना चाहिए, किससे संपर्क करना चाहिए, कैसे शिकायत दर्ज करानी चाहिए, अपने डेटा को कैसे सुरक्षित रखना चाहिए - जैसे अनगिनत सवाल तब मन में आते हैं, जब ऐसी घटना हो जाती है। उस समय दिलो-दिमाग पर चिंता छा जाती है। अगर यह ऐप मोबाइल फोन में रहेगा तो इन सारे सवालों के जवाब तुरंत मिल जाएंगे। प्राय: लोगों को यह तो मालूम होता है कि नया मोबाइल फोन कहां से लेना है, उसे कैसे इस्तेमाल करना है, लेकिन साइबर ठगी, फोन चोरी जैसी घटनाएं होने के बाद सही कदम उठाने के बारे में कम ही जानकारी होती है। साइबर ठग इसका खूब फायदा उठा रहे हैं।

क्या कोई ऐसी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए, जिसके तहत साइबर सुरक्षा मजबूत की जाए, साइबर ठगों के खिलाफ कार्रवाई करने में तेजी लाई जाए? सरकार को ऐसा ऐप हर मोबाइल फोन तक पहुंचाना चाहिए। हां, लोगों को यह अधिकार होना चाहिए कि वे चाहें तो 'संचार साथी' को फोन में रखें, चाहें तो उसे हटा दें। सरकार ने इसकी पूरी गुंजाइश रखी है। फिर विवाद कहां है? अभी सोशल मीडिया कई सवालों से भरा हुआ है। कई आशंकाओं में से एक आशंका यह जताई जा रही है कि इस ऐप के रूप में सरकार के पास ऐसा हथियार आ जाएगा, जिसके जरिए वह किसी का फोन कभी भी और कहीं भी बंद कर देगी! हालांकि हर नई पहल के साथ ऐसे सवालों की बाढ़ आती है। जब आधार कार्ड की शुरुआत की गई थी तो कई लोगों ने इसे संदेह की दृष्टि से देखा था। इसके बारे में कहा गया था कि लोगों की जमीनें हड़प ली जाएंगी, उनकी आजादी छीन ली जाएगी! पंजाब-हरियाणा में सक्रिय एक संगठन तो आज तक इसके बारे में कई विचित्र दावे कर रहा है और बहुत लोग उसकी बातों पर विश्वास करते हैं। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि एक-एक कर सारे सवालों के जवाब आसान शब्दों में दे। वह लोगों को बताए कि इसके लागू होने से आपको इतने फायदे होंगे। अगर दुनिया में कहीं इससे मिलती-जुलती व्यवस्था है तो उसका उदाहरण देते हुए वहां के नागरिकों के जीवन में आए सकारात्मक बदलावों का उल्लेख करना चाहिए। निजता और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता। उम्मीद है कि 'संचार साथी' ऐप सभी कसौटियों पर खरा उतरेगा और देशवासियों के लिए वरदान सिद्ध होगा।

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