खाताधारक ने ओटीपी को नहीं दी मंज़ूरी, फिर भी रात साढ़े तीन बजे बैंक खाते से उड़ गए 90 हज़ार

बेंगलूरु निवासी रितु माहेश्वरी ने एचडीएफसी बैंक पर लगाए गंभीर आरोप

आरोप लगाया- एचडीएफसी बैंक ने आरबीआई के मास्टर सर्कुलर का पालन नहीं किया है

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। सामान्यतया कहा जाता है कि घर में नक़द राशि रखने के बजाय बैंक खाता खोलकर उसमें पैसा रखना ज्यादा सुरक्षित होता है लेकिन बेंगलूरु निवासी युवती रितु माहेश्वरी का अनुभव इस मामले में बहुत कटु है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी मंजूरी के बगैर उनके एचडीएफसी बैंक खाते से 90,900 रुपए निकाल लिए गए और बैंक अब संतोषजनक जवाब देने के बजाय अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा है। रितु ने कहा है कि बैंक की ओर से सुरक्षा में गंभीर चूक हुई है और धोखाधड़ी की तुरंत रिपोर्ट करने के बावजूद लगभग दो माह बीत जाने पर भी कोई समाधान नहीं हुआ है। रितु माहेश्वरी का कहना है कि बैंक की ओर से न तो कोई कार्रवाई की जा रही है और न ही कोई संतोषजनक जवाब दिया जा रहा है।

खाताधारक रितु माहेश्वरी ने आरोप लगाया है कि एचडीएफसी बैंक ने आरबीआई के मास्टर सर्कुलर का पालन नहीं किया है। इस सर्कुलर के अनुसार, अगर ऐसे ट्रांज़ेक्शन की रिपोर्ट तय अवधि के अंदर की जाती है और खाताधारक ने कोई लापरवाही नहीं की है तो उसकी (खाताधारक की) देनदारी शून्य होती है। माहेश्वरी ने आरोप लगाया कि उन्होंने आरबीआई की सभी शर्तों का पालन किया और घटना के एक घंटे के अंदर ट्रांज़ेक्शन की रिपोर्ट बैंक को कर दी थी। इसके बावजूद बैंक ने उनका पैसा रिफंड नहीं दिया है। 

रितु ने “दक्षिण भारत राष्ट्रमत” को बताया कि उनका बचत खाता एचडीएफसी बैंक की बेंगलूरु स्थित बीटीएम लेआउट-3 शाखा में है। घटना गत 1 अक्टूबर की है, जब अलसुबह वह सो रही थीं, उस समय 3.24 बजे से 4.03 बजे के बीच उनके खाते से 30,300 रुपए के तीन ट्रांज़ेक्शन के ज़रिए कुल 90,900 रुपए निकाल लिए गए। रितु माहेश्वरी ने कहा कि उन्होंने न तो ट्रांज़ेक्शन को मंज़ूरी दी और न ही ओटीपी, पिन या कोई भी गोपनीय जानकारी किसी से साझा की। बैंक को इसकी जानकारी उन्होंने उसी समय 4.37 बजे दे दी। इसके आधार पर 1 अक्टूबर को सुबह 7.20 बजे बैंक ने शिकायत रजिस्टर कर ली। यह आरबीआई द्वारा तय की गई रिपोर्टिंग अवधि की सीमा के अंदर था। यहां यह बताना महत्वपूर्ण है कि मेरे द्वारा बैंक को 4.37 बजे सूचित करने से भी पहले ही बैंक ने 4. 09 बजे कथित ट्रांजेक्शन को संदिग्ध बताते हुए मेरा कार्ड ट्रांजेक्शन ब्लॉक कर दिया था।

बैंक ने पहले तो ट्रांजेक्शन को संदिग्ध बताया और अब बता रहा 'अधिकृत'

माहेश्वरी ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित समयसीमा में घटना की सूचना देने और सभी सहायक दस्तावेज उपलब्ध कराने के बावजूद उन्हें (रितु को) अब तक न तो कोई रिफंड मिला और न ही बैंक से कोई संतोषजनक जवाब मिला है। उन्होंने फिर से रेखांकित करते हुए कहा कि 1 अक्टूबर सुबह 4.09 बजे बैंक के एक प्रतिनिधि ने ईमेल से माना कि ट्रांज़ेक्शन 'संदिग्ध' था और मुझे संदेश देकर सूचित किया कि मेरा डेबिट कार्ड ब्लॉक कर दिया गया है। इससे साफ पता चलता है कि बैंक की ओर से ही सुरक्षा में कोई चूक हुई थी तभी तो खाताधारक द्वारा शिकायत करने से भी पहले बैंक ने कार्ड ब्लॉक कर दिया था। अब अचानक क्या हुआ कि उसी संदिग्ध ट्रांजेक्शन को अधिकृत बताया जा रहा है ? बैंक यह नहीं बता रहा है कि दो दिन में ही ट्रांजेक्शन संदिग्ध से अधिकृत कैसे हो गया?

किसके खाते में गई राशि, इसकी जानकारी क्यों नहीं देता बैंक?

माहेश्वरी ने दावा किया कि 1 अक्टूबर को ट्रांजेक्शन को संदिग्ध और 3 अक्टूबर को बैंक के संदेश में उसी ट्रांज़ेक्शन को 'ऑथराइज़्ड' कहकर अपने द्वारा पहले कही गई बात को गलत बताया गया। अब बार बार उस ट्रांजेक्शन को ‘आथराइज्ड’ साबित करने की कोशिश की जा रही है और मजे की बात यह है कि पैसा किसके खाते में गया इसकी भी जानकारी नहीं दी जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ऐसा बैंक की कार्यशैली में और पारदर्शिता में गंभीर कमी और गड़बड़ी को दर्शाता है। रितु का कहना है कि उनके द्वारा कई बार लिखित निवेदन किए जाने के बावजूद बैंक ने बेनिफिशियरी अकाउंट डिटेल्स, ट्रांज़ेक्शन ट्रेल, डिवाइस आईडी, आईपी लॉग्स आदि का कोई प्रमाण नहीं दिया जा रहा है कि उससे हमें असलियत का पता चल सके। उन्होंने आरोप लगाया कि कथित आंतरिक मिलीभगत और कर्मचारियों की लापरवाही के बिना ऐसा होना संभव नहीं है। उनका कहना है कि बैंक के इस रवैये की वजह से उन्हें बहुत मानसिक और आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है। इस संदर्भ में दक्षिण भारत राष्ट्रमत ने बैंक का पक्ष भी जानना चाहा लेकिन उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखाई।

नवंबर में ही चेन्नई में एचडीएफसी बैंक का एक प्रबंधक चोरी के आरोप में गिरफ़्तार

रितु माहेश्वरी ने कहा कि हाल ही में गत 13 नवंबर को वेलाचेरी चेन्नई स्थित एचडीएफसी बैंक के एक मैनेजर को गिरफ़्तार किया गया क्योंकि उसने एक एनआरआई खाताधारक के बैंक लाकर से लगभग 20 लाख रूपए से अधिक क़ीमत के गहने ग़ायब कर दिए थे। प्रबंधक की मिलीभगत के आरोप पर गिरफ़्तारी हुई थी और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार प्रबंधक ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था। इस घटना से मेरा यह संदेह गहराना स्वाभाविक है कि एचडीएफसी बैंक की शाखाओं में न तो नक़द सुरक्षित है और न लाकर में रखे गए आभूषण एवं दस्तावेज ही सुरक्षित हैं।

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