स्वस्थ, सशक्त, समृद्ध भारत के लिए संकल्प

इसमें कुछ साल लग सकते हैं

राजनेता और सरकारी अधिकारी इन संकल्पों को गंभीरता से लें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के उडुपी स्थित श्रीकृष्ण मठ में लक्षकंठ गीता पारायण कार्यक्रम में जिन नौ संकल्पों का उल्लेख किया, वे स्वस्थ, सशक्त और समृद्ध भारत का निर्माण कर सकते हैं। हर भारतीय को उनका पालन करना चाहिए। यह काम एक दिन में नहीं हो सकता। इसमें कुछ साल लग सकते हैं। ये संकल्प पूरी तरह हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएं तो भारत को प्रगतिपथ पर तेजी से आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के संकल्प को प्रथम स्थान पर रखा है, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है। देश के कई इलाकों में भूजल का स्तर घट गया है। हमें भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जल संरक्षण करना होगा। इसके लिए वर्षा जल संग्रहण के प्रयास करने होंगे। हर जगह ऐसे तरीके अपनाने होंगे, जिनकी मदद से वर्षा जल सीधे जमीन में जाए। मई-जून में जब तेज गर्मी पड़ती है, तब लोगों को पेड़-पौधों की याद आती है। पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने होंगे। इस संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान क्रांतिकारी सिद्ध हो सकता है। कम से कम 'एक ग़रीब का जीवन सुधारने का प्रयास' संबंधी संकल्प सर्वसमाज की तस्वीर बदल सकता है। यह कैसे संभव होगा? इसके लिए सर्वश्रेष्ठ उपाय यह हो सकता है कि ऐसे जरूरतमंद लोगों को कोई हुनर सिखाया जाए, ताकि वे खुद स्वाभिमानपूर्वक काम करें और अपनी कमाई से जीवन स्तर सुधारें।

प्रधानमंत्री मोदी 'स्वदेशी' और 'वोकल फॉर लोकल' को अपनाने का आह्वान पहले भी कर चुके हैं। इसका असर दिखाई दे रहा है। हालांकि अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। यह अभियान त्योहारों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इसे हमारी जीवनशैली का अनिवार्य अंग बनाना होगा। प्रधानमंत्री ने नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने पर जोर दिया है, जो समय की मांग है। विषैले रसायनों और कीटनाशकों के कारण मिट्टी की सेहत बिगड़ रही है। अन्न में भी हानिकारक तत्त्व मिल गए हैं, जिससे अनेक प्रकार के रोग पैदा हो रहे हैं। किसानों को प्राकृतिक खाद और कीटनाशकों के बारे में बताना होगा। स्वस्थ जीवनशैली को अपनाते हुए भोजन में मिलेट्स की संतुलित मात्रा होनी जरूरी है। प्रधानमंत्री का यह संकल्प जन-जन का संकल्प होना चाहिए। इसमें पोषण विशेषज्ञ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। किस उम्र के लोग मिलेट्स को कितनी मात्रा में अपने भोजन में शामिल करें, शुरुआत में कितनी मात्रा रखें, दूसरे अनाज कितने हों - इन सबके बारे में पर्याप्त जानकारी लेकर ही आगे बढ़ना चाहिए। पहले, जो लोग मिलेट्स खाते थे और खूब शारीरिक श्रम करते थे, वे बहुत स्वस्थ रहते थे। अगर इन सभी संकल्पों के साथ योगाभ्यास को अपनाएं तो यह संपूर्ण स्वास्थ्य की दिशा में बहुत बड़ा कदम होगा। आज योगाभ्यास सीखना कोई मुश्किल काम नहीं है। सोशल मीडिया, टेलीविजन चैनलों पर कई विशेषज्ञ हैं, जिनके मार्गदर्शन में लोग घर बैठे सीख सकते हैं। प्रधानमंत्री ने सत्य कहा कि हमारे देश का बहुत-सा पुरातन ज्ञान पांडुलिपियों में छिपा हुआ है। सरकार इस अमूल्य धरोहर को बचाने के लिए काम कर रही है। एआई के दौर में इस ज्ञान से प्रगति के नए रास्ते खुल सकते हैं। युवाओं को इसमें रुचि लेनी चाहिए। शिक्षा, चिकित्सा, खेती समेत कई क्षेत्रों में यह ज्ञान वरदान सिद्ध हो सकता है। इसी सिलसिले में नौवां संकल्प (विरासत से जुड़े 25 स्थानों के दर्शन) एकता की डोर को मजबूत करेगा। साथ ही, अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देगा। राजनेता और सरकारी अधिकारी इन संकल्पों को गंभीरता से लें। उन्हें देखकर आम लोग भी प्रेरित होंगे।

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