आईएसआई के निशाने पर उच्च शिक्षित युवा

इस साल मेवात क्षेत्र में पाकिस्तान के लिए जासूसी से जुड़ी यह तीसरी गिरफ्तारी है

आईएसआई भारत में जासूसी कराने के लिए हनीट्रैप का प्रयोग कर रही है

दिल्ली में लाल किले के पास कार धमाका मामले में कई डॉक्टरों की संलिप्तता पाए जाने के बाद गुरुग्राम में आईएसआई के लिए जासूसी के आरोप में एक अधिवक्ता की गिरफ्तारी से पता चलता है कि भारत के उच्च शिक्षित युवाओं को बरगलाने के लिए पाकिस्तान बड़े स्तर पर साजिशें रच रहा है। उक्त अधिवक्ता कथित तौर पर पाकिस्तान में आईएसआई के आकाओं से जुड़े हवाला चैनलों के ज़रिए करोड़ों रुपए भारत लाया था। यही नहीं, उसने कथित तौर पर इस धन को आतंकवादी गतिविधियों, जासूसी और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए इस्तेमाल किया था। यह शख्स गुरुग्राम अदालत में वकालत करता है। इस साल मेवात क्षेत्र में पाकिस्तान के लिए जासूसी से जुड़ी यह तीसरी गिरफ्तारी है। भारतीय एजेंसियों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भी कई जासूसों को गिरफ्तार किया था, जिनमें कुछ मशहूर यूट्यूबर थे। पहले, आईएसआई कम पढ़े-लिखे लोगों को अपने जाल में फंसाती थी। अब वह उच्च शिक्षित भारतीय नागरिकों को एजेंट बनाकर उन्हें देश के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है। इसमें सोशल मीडिया बड़ी भूमिका निभा रहा है। हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए, जब लोगों को फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अपने ही देश के खिलाफ अपराध करने के लिए उकसाया गया था। यह तो भारतीय एजेंसियों की सतर्कता ही थी, जिनकी वजह से वे पकड़े गए। अन्यथा देश को भारी नुकसान हो सकता था। आईएसआई भारत में जासूसी कराने के लिए हनीट्रैप का प्रयोग कर रही है। आश्चर्य की बात है कि इस जाल में सामान्य नागरिक से लेकर अत्यंत प्रतिष्ठित वैज्ञानिक भी फंस गए थे!

यह एक ऐसा हथियार है, जो ज्यादातर जगह खाली नहीं जाता। लोग इसके शिकार जरूर हो जाते हैं। भारतीय एजेंसियों को अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए ऐसे सोशल मीडिया अकाउंटों पर खास नजर रखनी चाहिए, जिनसे भारतीय युवा ज्यादा जुड़ रहे हैं। अब ऐसे अकाउंटों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिन पर एआई द्वारा बनाई गई सामग्री प्रस्तुत की जाती है। उन्हें देखकर असलियत का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। आश्चर्य की बात है कि उन पर टिप्पणियां करने वाले लोगों में ज्यादातर भारतीय युवा होते हैं। क्या वे नहीं जानते कि यह एक ऐसा जाल है, जो उन्हें शिकार बनाने के लिए बिछाया गया है? एक चैनल, जिसका संचालन पाकिस्तान से किया जा रहा है, पर ग्रामीण परिवेश, सुंदर युवतियों आदि से संबंधित सामग्री की भरमार है। वहां दर्जनों भारतीय युवा टिप्पणियां कर उन युवतियों की तारीफों के पुल बांध रहे हैं। कुछ तो विवाह का प्रस्ताव भेज रहे हैं, जबकि चैनल पर दिखाई दे रही सामग्री का हकीकत से कोई संबंध नहीं है। क्या ऐसे युवाओं को भारत के खिलाफ जासूसी के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता? भारतीय नागरिकों को सोशल मीडिया पर ज्यादा जागरूक होने की जरूरत है। बिल्कुल ही अनजान लोगों से दोस्ती करना बहुत महंगा पड़ सकता है। सोशल मीडिया, डेटिंग ऐप्स और पेशेवर नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर हमेशा सावधान रहना चाहिए। कोई बहुत ज्यादा तारीफ करे और भावनात्मक दबाव डाले तो समझना चाहिए कि कुछ-न-कुछ गड़बड़ है। सरकारी और संवेदनशील क्षेत्रों में कार्यरत लोगों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि उनके पास ऐसी जानकारी होती है, जो दुश्मन के हाथ लगने से राष्ट्रीय हित प्रभावित हो सकते हैं। हर नागरिक खुद को भारत मां का प्रहरी समझे और दुश्मन की चालों से अवगत रहे।

About The Author: News Desk