ब्रिटेन निवासी एक भारतीय महिला के साथ चीन के शंघाई हवाईअड्डे पर किया गया बर्ताव अत्यंत निंदनीय है। प्रेमा वांगजोम थोंगडोक ने चीनी अधिकारियों पर जो आरोप लगाए हैं, वे गंभीर हैं। उनके पासपोर्ट को चीन ने सिर्फ इस वजह से मानने से इन्कार कर दिया, क्योंकि वे अरुणाचल प्रदेश से हैं! यह चीनी पैंतरा नया नहीं है। चीन अरुणाचल को 'दक्षिण तिब्बत' कहकर इस पर अपना अवैध दावा जताता है। हालांकि भारत इस दावे को खारिज करता है। प्रेमा वांगजोम लंदन से जापान की यात्रा के सिलसिले में शंघाई पहुंचीं तो चीनी आव्रजन अधिकारियों ने पासपोर्ट पर उनके जन्म स्थान अरुणाचल प्रदेश को देखकर जो हरकत की, वह सोची-समझी साजिश लगती है। चीन भारत सरकार पर, खासकर अरुणाचल प्रदेश के निवासियों पर दबाव बनाना चाहता है। वह एक ही झूठ को बार-बार दोहराकर उसे सच साबित करना चाहता है। न तो भारत सरकार उसके दबाव में आएगी, न ही अरुणाचल प्रदेश के निवासी उसके झूठे दावे को कोई स्वीकृति देंगे। बीजिंग को मालूम होना चाहिए कि अरुणाचल के लोग देशभक्त भारतीय हैं। वे भारत माता की सीमाओं के सच्चे प्रहरी हैं। चीन की चाल उनके सामने कोई काम नहीं आएगी। इससे पहले, जुलाई 2023 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों के लिए 'नत्थी वीजा' जारी कर विवाद भड़काने की कोशिश की थी। जब कभी केंद्र सरकार के मंत्री अरुणाचल प्रदेश का दौरा करते हैं तो चीन तिलमिला उठता है। चीनी सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों के चीनी नाम रखे हुए हैं। उसके इस कदम की बहुत खिल्ली उड़ी थी।
क्या ऐसा करने से चीन के अवैध दावे को मान्यता मिल जाएगी? कभी नहीं, क्योंकि अब भारत दृढ़ता से जवाब देता है। प्रेमा वांगजोम के मामले में भी उसने दो टूक कहा कि अरुणाचल प्रदेश निर्विवाद रूप से भारतीय क्षेत्र है और इसके निवासियों को भारतीय पासपोर्ट रखने तथा उसके साथ यात्रा करने का पूरा अधिकार है। चीन सैन्य आक्रमण करने का दुस्साहस नहीं कर सकता, क्योंकि वह जानता है कि उस स्थिति में भारत जोरदार जवाबी कार्रवाई करेगा। पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' में भारतीय वायुसेना ने चीन के कई ड्रोनों को धराशायी कर पराक्रम दिखाया था। चीनी फौज परंपरागत (आमने-सामने की) लड़ाई से दूर रहना चाहती है, क्योंकि एक संतान नीति के कारण जनसंख्या संतुलन बिगड़ता जा रहा है। भारतीय सेना ने तवांग सेक्टर में चीनी सैनिकों की जिस तरह मरम्मत की थी, उसके बाद वे दोबारा इधर नहीं आए। अब बीजिंग क्या करे? उसे अरुणाचल के संबंध में अपना हठ भी जारी रखना है, अपने नागरिकों के बीच खुद को अजेय साबित करना है, दुनिया में खुद को महाशक्ति की तरह पेश करना है! उसके पास सिर्फ एक विकल्प बचता है- हर साल अरुणाचल प्रदेश के बारे में ऐसा मुद्दा उछालना, जो सुर्खियां बटोरे। प्रेमा वांगजोम के साथ किया गया बर्ताव इसी का हिस्सा है। भविष्य में भारत के किसी अन्य नागरिक के साथ (जो अरुणाचल का निवासी हो) चीन में ऐसा बर्ताव हो तो इस पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। भारत सरकार को जवाबी कार्रवाई करनी होगी। तिब्बत के बौद्धों और शिंजियांग के मुसलमानों की आवाज उठानी चाहिए। उनके साथ हो रहे चीनी अत्याचारों को सामने लाना चाहिए। इसके कई तरीके हो सकते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और सदैव रहेगा।