हरियाणा के फरीदाबाद में पुलिस की कार्रवाई के दौरान बरामद विस्फोटक सामग्री और हथियारों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि इस देश के शांति एवं भाईचारे के खिलाफ बहुत बड़े स्तर पर साजिशें जारी हैं। हैरानी की बात है कि इस मामले में गिरफ्तार एक शख्स डॉक्टर है! जिसका पेशा लोगों की जान बचाना है, वह दहशत का सौदागर कैसे बन गया? उसकी निशानदेही पर एक कार के अंदर से जो 'मौत का सामान' मिला है, उसे यहां तक लाना और छिपाना किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है। इसके पीछे बड़ा नेटवर्क हो सकता है, जिसका पर्दाफाश होना चाहिए। आतंकवादी संगठन इस देश के सद्भाव को नुकसान पहुंचाने के लिए अपना पूरा जोर लगा रहे हैं। वे युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहे हैं। वे उन हाथों में भी बम और बंदूकें थमा रहे हैं, जिनमें दवाइयां और स्टेथोस्कोप हैं। यह दर्शाता है कि सिर्फ किताबी पढ़ाई किसी को इन्सान बनाने के लिए काफी नहीं है। किताबें किस नीयत से पढ़ी हैं, ज्ञान का प्रयोग कहां और किस उद्देश्य से किया है, यह बहुत मायने रखता है। अगर सोच जहरीली है तो वह व्यक्ति कितनी ही किताबें पढ़ ले, कितनी ही डिग्रियां ले ले, उसका ज्ञान विध्वंसक ही होगा। उक्त डॉक्टर के मामले में कार का जिक्र किया जा रहा है। ध्यान रखें कि 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हमले में भी इसी तरह कार, विस्फोटक सामग्री और हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। क्या आतंकवादी एक बार फिर कोई बड़ा हमला करने के मंसूबे बना रहे थे? याद रखें, अभी 26/11 हमलों की बरसी आने वाली है। 16 दिसंबर भी ज्यादा दूर नहीं है, जिसका बदला लेने के लिए पाकिस्तान कसमें खाता रहता है।
उधर, गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने एक डॉक्टर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से हथियारों और रसायनों का जखीरा मिला है। ये भी आतंकवादी हमला करने की साजिश रच रहे थे। आरोपी डॉक्टर ने चीन से एमबीबीएस की डिग्री ली थी। वह अपने चिकित्सा ज्ञान से एक बेहद घातक जहर बना रहा था, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की जान ली जा सकती थी। उसने कच्चा माल जुटाकर रासायनिक प्रक्रिया शुरू कर दी थी। सोचिए, अगर यह शख्स जहर बनाने की प्रक्रिया के आखिरी चरण को पार कर लेता तो कितनी तबाही मचा सकता था? आरोपियों द्वारा किया गया यह खुलासा कि 'आका ड्रोन के जरिए हथियारों की खेप पाकिस्तान से भेजता है', से आतंकवाद के एक नए प्रारूप और उससे जुड़े खतरों के बारे में पता चलता है। आज ड्रोन का इस्तेमाल आतंकवाद और तस्करी संबंधी गतिविधियों में हो रहा है। यह परंपरागत तौर-तरीकों से ज्यादा घातक है। तीनों आरोपी अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए गांधीनगर जिले के कलोल में एक सुनसान जगह से हथियार इकट्ठे करते थे। सुरक्षा बलों को सरहदी इलाकों में पाकिस्तानी ड्रोनों पर कड़ी नजर रखनी होगी। ये नए जमाने के घुसपैठिए हैं, जिनसे अत्याधुनिक तकनीक के जरिए निपटना होगा। यही नहीं, सरहद पार से युवाओं के दिलो-दिमाग में जहर घोलने वाले कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्ती दिखानी होगी। उन्हें आतंकवादी घोषित कर उनकी तकरीरें सुनने को प्रतिबंधित करना होगा। ऐसे कई 'उपदेशक' सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय हैं। उन्हें भारत में लोग सुनते हैं। उनकी सामग्री पर की गईं टिप्पणियों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि उनमें भारतीय नागरिक भी हैं। ऐसी जहरीली सामग्री को अपने देश में प्रसारित होने से रोकें। साथ ही, खुफिया तंत्र को और मजबूत करें, ताकि देश के खिलाफ साजिश रचने वाला कोई भी तत्त्व न बच पाए।