इस्लामाबाद/दक्षिण भारत। पाकिस्तान और अफ़ग़ान तालिबान के बीच शांति वार्ता सीमा पार आतंकवाद के जटिल मुद्दों से निपटने के लिए किसी समझौते के बिना ही समाप्त हो गई। दोनों पक्षों में गतिरोध जारी रहा। शीर्ष अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।
तीसरे दौर की वार्ता गुरुवार को शुरू हुई थी और दो दिनों तक जारी रही। इसमें पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए काबुल से लिखित प्रतिबद्धता प्राप्त करने में विफल रहा। उक्त संगठन पर अफगान धरती का उपयोग करके पाकिस्तान के खिलाफ हमले करने का आरोप है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शुक्रवार रात एक निजी टीवी चैनल को बताया कि वार्ता स्थगित कर दी गई है और 'चौथे दौर की वार्ता का कोई कार्यक्रम नहीं है।'
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 'पूरी तरह से गतिरोध है। बातचीत अनिश्चितकालीन दौर में पहुंच गई है।' मंत्री ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता के ईमानदार प्रयासों के लिए तुर्की और कतर का धन्यवाद किया।
उन्होंने कहा, 'वे हमारे रुख का समर्थन करते हैं। यहां तक कि अफगान प्रतिनिधिमंडल भी हमसे सहमत था; हालांकि, वे लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं थे।' उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान केवल औपचारिक, लिखित समझौते को ही स्वीकार करेगा।
उन्होंने कहा, 'वे मौखिक आश्वासन स्वीकार करवाना चाहते थे, जो अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में संभव नहीं है।' आसिफ ने कहा कि मध्यस्थों ने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन अंततः उम्मीद खो बैठे।
उन्होंने कहा, 'अगर उनमें थोड़ी भी आशा होती, तो वे हमें रुकने के लिए कहते। हमारा खाली हाथ लौटना दर्शाता है कि उन्होंने भी काबुल से हार मान ली है।' मंत्री ने दोहराया कि पाकिस्तान का रुख़ दृढ़ और स्पष्ट है। उन्होंने कहा, 'हमारी एकमात्र मांग है कि अफ़ग़ानिस्तान यह सुनिश्चित करे कि उसकी धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान पर हमलों के लिए न हो।'
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उकसाया गया तो पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा, 'अगर अफ़ग़ानिस्तान की धरती से कोई हमला होता है, तो हम उसका जवाब देंगे। जब तक कोई आक्रमण नहीं होगा, युद्धविराम लागू रहेगा।'