बेंगलूरु/दक्षिण भारत। मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने बुधवार को केंद्र से आग्रह किया कि वह कर्नाटक के गारंटी मॉडल को मान्यता दे और राज्यों को नवाचार करने तथा अपने लोगों में निवेश करने के लिए सशक्त बनाने के लिए ज्यादा वित्तीय सहायता और राजस्व का उचित हिस्सा दे।
वे यहां राजकोषीय नीति संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, 'हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्नाटक का गारंटी मॉडल समावेशी विकास के लिए एक राष्ट्रीय मॉडल बने, जो क्षेत्रीय और सामाजिक असमानताओं को पाट सके और सहकारी संघवाद की भावना को मजबूत करे।'
पांच गारंटी योजनाओं का समर्थन करते हुए सिद्दरामय्या ने कहा कि यह यात्रा विधान सौधा के गलियारों से नहीं, बल्कि आम लोगों के जीवन से शुरू हुई है— वे महिलाएं जो महंगाई और घरेलू सम्मान के बीच संतुलन बनाने के लिए संघर्ष कर रही थीं; वे युवा जो नौकरी की तलाश में थे, लेकिन उन्हें निराशा मिली; वे किसान जो जलवायु संकट और बाजार में अस्थिरता के दोहरे बोझ का सामना कर रहे थे; और वे गरीब जिनकी क्रय शक्ति मूल्य वृद्धि और केंद्र सरकार की नीतिगत उपेक्षा के कारण कम हो गई थी।
उन्होंने कहा, 'इसलिए गारंटी योजनाएं लोकलुभावन योजनाएं नहीं हैं, बल्कि नीतिगत सुधार और पुनर्वितरणीय न्याय तथा समावेशी विकास के साधन थे, ऐसे युग में जहां तथाकथित 'ट्रिकल-डाउन सिद्धांत' गरीबों तक पहुंचने में विफल रहा है।'
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए 96,000 करोड़ रुपए से ज्यादा आवंटित किए गए हैं और वर्ष 2025-26 के राज्य बजट में इनके लिए 51,034 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। उन्होंने कहा, 'इसमें से 56.06 प्रतिशत गृह लक्ष्मी, 19.79 प्रतिशत गृह ज्योति, 12.59 प्रतिशत अन्न भाग्य, 10.39 प्रतिशत शक्ति और 1.18 प्रतिशत युवा निधि को जाता है।'
उनके अनुसार, 1.24 करोड़ से अधिक महिलाओं को गृह लक्ष्मी के माध्यम से सहायता मिलती है, 1.63 करोड़ परिवारों को गृह ज्योति से लाभ मिलता है, 4.08 करोड़ लोग अन्न भाग्य से लाभान्वित होते हैं और 2.84 लाख युवाओं को युवा निधि प्राप्त होती है।
उन्होंने बताया कि शक्ति योजना के तहत सरकारी बसों में 63 प्रतिशत से ज़्यादा यात्री महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि 580 करोड़ से ज़्यादा मुफ़्त बस यात्राएं की जा चुकी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम केंद्र सरकार से इस मॉडल को मान्यता देने और राज्यों को नवाचार करने तथा अपने लोगों में निवेश करने के लिए सशक्त बनाने के लिए अधिक राजकोषीय सहायता और राजस्व का उचित हिस्सा प्रदान करने का आह्वान करते हैं।'
उन्होंने कहा कि कर्नाटक अब प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश में पहले स्थान पर है, जिसने पिछले दशक में 101 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की है, जो वर्ष 2013-14 में 1,01,858 रुपए से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 2,04,605 रुपए हो गई है। यह राज्य की निरंतर आर्थिक गति और गारंटी योजनाओं द्वारा संचालित समावेशी विकास को दर्शाता है।
सिद्दरामय्याने कहा कि जब दुनिया समावेशी शासन के मॉडल के रूप में कर्नाटक की गारंटी योजनाओं की सराहना कर रही है, वहीं विपक्ष गलत सूचना और नकारात्मकता फैलाने में व्यस्त है।