कैसे रुकेगा यह 'कपट धंधा'?

देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा हैं नकली नोट

यह कृत्य देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसा है

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में एक मदरसे से 19 लाख रुपए से ज्यादा के नकली नोट बरामद होना पुलिस और खुफिया एजेंसियों की सतर्कता को दर्शाता है। वहीं, इतनी बड़ी तादाद में नकली नोटों के ढेर से कई सवाल पैदा होते हैं। जिस संस्था में पढ़ाई-लिखाई होनी चाहिए, वहां नकली नोट कैसे आए? जब मदरसे के इमाम के कमरे की तलाशी ली गई तो वहां नकली नोटों के कई बंडल मिले। यह 'कपट धंधा' किसी एक आदमी के बूते नहीं चल सकता। इसके पीछे जरूर कोई नेटवर्क है, जिसका पर्दाफाश होना चाहिए। नकली नोट छापना, उनका प्रसार करना और इस काम में किसी भी तरह से मदद करना गंभीर अपराध तो है ही, यह देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसा है। नकली मुद्रा किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा होती है। ऐसे कृत्य में शामिल लोगों का अपराध अक्षम्य है। इन्हें कठोर दंड मिलना चाहिए। अब चूंकि यह मामला पुलिस और संबंधित एजेंसियों की नजरों में आ चुका है, इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि वे इसकी गहराई तक जाएंगी और अपराध में लिप्त दूसरे लोग भी पकड़ में आएंगे। यह कोई पहला मामला नहीं है। याद करें, पिछले साल अगस्त में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में भी एक मदरसे में नकली नोट छापने का मामला सामने आया था। आरोपियों के कब्जे से बड़ी संख्या में नकली नोट बरामद किए गए थे। उन्होंने काफी नोट बाजार में चला भी दिए थे। वे महाकुंभ मेले में ये नोट खपाना चाहते थे, लेकिन इससे पहले ही उनका भंडाफोड़ हो गया था।

भारत में नकली नोटों का प्रसार करने के पीछे अंतरराष्ट्रीय ताकतों का हाथ है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इन गतिविधियों का संचालन करने के लिए कुख्यात है। बांग्लादेश, नेपाल से लेकर भारत के विभिन्न शहरों में ऐसे तत्त्व मौजूद हैं, जो लालच और देशविरोधी मानसिकता के कारण यह अपराध करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब नोटबंदी की घोषणा की थी, तब उम्मीद जगी थी कि अब नकली नोटों का खेल काफी हद तक खत्म हो जाएगा, लेकिन अपराधी बाज़ नहीं आ रहे हैं। वे नोटों पर मौजूद सुरक्षा फीचर्स की ऐसी नकल कर रहे हैं कि आम आदमी आसानी से धोखा खा सकता है। सरकार को चाहिए कि वह ऐप आधारित ऐसे तकनीकी तौर-तरीकों को बढ़ावा दे, जो किसी भी नोट की वास्तविक स्थिति के बारे में तुरंत रिपोर्ट दें। नोटों में नए सुरक्षा फीचर्स को बढ़ाना चाहिए। खासकर बड़े नोटों में ऐसे फीचर्स हों, जो असली-नकली का भेद आसानी से खोल दें। हर एटीएम में ऐसे स्कैनर लगाए जाएं, जो नकली नोट आते ही मशीन को लॉक कर दें। इस कपट धंधे में लिप्त लोगों को पकड़ने के लिए खुफिया तंत्र को मजबूत करना बहुत जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति ऐसे नेटवर्क की सूचना दे तो उसकी पहचान हर स्थिति में गुप्त रखने का वचन दिया जाए। साथ ही, बरामद हुए नोटों के कुल मूल्य का एक विशेष प्रतिशत इनाम में मिलना चाहिए। इससे अपराधियों में डर पैदा होगा कि वे पकड़े जाएंगे। नकली नोटों की समस्या से निपटने के लिए सबसे अच्छा तरीका है- डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना। इससे नोटों पर निर्भरता कम हो जाएगी। हालांकि, वहां नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं। साइबर धोखाधड़ी के मामले बहुत बढ़ गए हैं। इस तरीके को ज्यादा सुरक्षित बनाना चाहिए। जब लोग डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता देने लगेंगे तो नकली नोटों की समस्या भी कम होने लगेगी।

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