नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि एक्सप्रेसवे और आर्थिक गलियारों के तेजी से विस्तार से भारत में लॉजिस्टिक्स लागत इस साल दिसंबर तक घटकर एकल अंक में आ जाएगी।
एसोचैम वार्षिक सम्मेलन 2025 को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि आईआईटी चेन्नई, आईआईटी कानपुर और आईआईएम बेंगलूरु द्वारा तैयार की गई एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में एक्सप्रेसवे और आर्थिक गलियारों के निर्माण से देश की लॉजिस्टिक्स लागत को पहले के 16 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा, 'भारत की लॉजिस्टिक्स लागत दिसंबर तक घटकर 9 प्रतिशत रह जाएगी, जिससे भारत को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में मदद मिलेगी। मुझे पूरा विश्वास है कि इससे हमारे उद्योग को 100 प्रतिशत लाभ होगा, हमारा निर्यात और अधिक प्रतिस्पर्धी होगा।'
अमेरिका में लॉजिस्टिक्स लागत 12 प्रतिशत, यूरोपीय देशों में 12 प्रतिशत तथा चीन में 8 से 10 प्रतिशत है।
भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र के बारे में बात करते हुए मंत्री ने कहा, 'पांच वर्षों के भीतर हमारा लक्ष्य भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग को दुनिया में नंबर 1 बनाना है।'
गडकरी ने कहा, 'जब मैंने परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला था, तब भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग का आकार 14 लाख करोड़ रुपए था। अब भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग का आकार 22 लाख करोड़ रुपए है।'
उन्होंने कहा कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र 4 लाख युवाओं को रोजगार देता है और केंद्र तथा राज्यों को सबसे अधिक जीएसटी देता है।
वर्तमान में अमेरिकी ऑटोमोबाइल उद्योग का आकार 78 लाख करोड़ रुपए है। इसके बाद चीन (47 लाख करोड़ रुपए) और भारत (22 लाख करोड़ रुपए) का स्थान है।
उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन पर भारत की निर्भरता एक आर्थिक बोझ है, क्योंकि ईंधन आयात पर प्रतिवर्ष 22 लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं। यह पर्यावरण के लिए खतरा है, जिससे देश की प्रगति के लिए स्वच्छ ऊर्जा को अपनाना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
मंत्री ने कहा कि भारत की जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कृषि पर ध्यान देने की जरूरत है।