ओस्लो/दक्षिण भारत। शांति का नोबेल पुरस्कार पाने के लिए झूठे दावे करने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने साल 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मारिया कोरिना मचाडो को देने का फैसला लिया है।
समिति द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, उन्हें वेनेजुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार दिया जा रहा है। वेनेजुएला में लोकतंत्र आंदोलन की नेता के रूप में, मारिया कोरिना मचाडो हाल के समय में लैटिन अमेरिका में नागरिक साहस के सबसे असाधारण उदाहरणों में से एक हैं।
समिति ने कहा कि मचाडो उस राजनीतिक विपक्ष में एक महत्त्वपूर्ण और एकजुट करने वाली हस्ती रही हैं जो कभी गहराई से विभाजित था। ऐसे समय में जब लोकतंत्र खतरे में है, इस साझा आधार की रक्षा करना पहले से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है।
मारिया का जन्म 7 अक्टूबर, 1967 को वेनेजुएला के कराकास में हुआ था। वे एक राजनीतिज्ञ और इंडस्ट्रियल इंजीनियर हैं। वे विपक्ष की एक प्रमुख नेता है, जो साल 2011 से 2014 तक नेशनल असेंबली की सदस्य रही हैं।
मारिया साल 2002 में वोट-मॉनिटरिंग संगठन सुमाते की संस्थापक के रूप में राजनीति में आई थीं। वे राजनीतिक दल वेंटे वेनेज़ुएला की राष्ट्रीय समन्वयक हैं। वे साल 2012 में, विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के प्राथमिक चुनाव में उम्मीदवार थीं। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
जब साल 2014 में वेनेजुएला में विरोध प्रदर्शन होने लगे थे तो उन्होंने लोगों का नेतृत्व किया था। अगस्त 2024 में, मारिया ने घोषणा की थी कि वे छिप गई हैं और सरकार की ओर से अपने जीवन तथा स्वतंत्रता को लेकर डर है।
मारिया अंतरराष्ट्रीय मीडिया में काफी चर्चित रही हैं। उन्हें साल 2018 में बीबीसी की 100 महिलाओं में से एक नामित किया गया था। वहीं, साल 2025 में टाइम पत्रिका के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में भी शामिल किया गया।