जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा: उच्चतम न्यायालय ने याचिकाओं पर जवाब के लिए इतना समय दिया

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने उच्चतम न्यायालय के दिसंबर 2023 के फैसले में दर्ज एक वचन का हवाला दिया

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नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ शिक्षाविद् जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद मलिक द्वारा दायर याचिकाओं सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर को 'जल्द से जल्द' राज्य का दर्जा बहाल करने के केंद्र के आश्वासन को लागू करने पर जोर दिया गया था।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने उच्चतम न्यायालय के दिसंबर 2023 के फैसले में दर्ज एक वचन का हवाला दिया, जिसमें अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखा गया था।

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने के संबंध में जम्मू-कश्मीर प्रशासन के साथ विचार-विमर्श चल रहा है।

मेहता ने कहा, 'यह एक अनोखी समस्या है और इसमें व्यापक चिंताएं शामिल हैं। बेशक, यह एक गंभीर प्रतिबद्धता थी, लेकिन कई कारकों पर विचार करने की आवश्यकता है।'

सॉलिसिटर जनरल ने आरोप लगाया कि कुछ लोग एक विशिष्ट कहानी फैला रहे हैं और केंद्र शासित प्रदेश की भयावह तस्वीर पेश कर रहे हैं।

11 दिसंबर, 2023 को, सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति से पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखा था। न्यायालय ने आदेश दिया था कि केंद्र शासित प्रदेश में सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराए जाएं और इसका राज्य का दर्जा 'शीघ्रतम' बहाल किया जाए।

पिछले साल शीर्ष न्यायालय में एक याचिका दायर कर केंद्र को दो महीने के भीतर जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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