8 साल पहले जीएसटी स्लैब का पुनर्गठन किया गया होता तो करोड़ों रु. की बचत होती: एमके स्टालिन

मुख्यमंत्री ने कहा, 'संघवाद का सम्मान करें ... लोगों को उनका हक़ मिलने दें'

Photo: MKStalin FB Page Live

चेन्नई/दक्षिण भारत। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को जीएसटी स्लैब पुनर्गठन के माध्यम से बचत को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि अगर आठ साल पहले सुधार शुरू किए गए होते तो परिवारों को कई लाख करोड़ रुपए की बचत होती।

प्रधानमंत्री ने कहा है कि जीएसटी सुधार और आयकर में राहत से भारतीयों को 2.5 लाख करोड़ रुपए की बचत होगी। स्टालिन ने कहा, 'लेकिन विपक्ष शुरू से ही यही मांग कर रहा है। अगर ये उपाय आठ साल पहले किए गए होते, तो देशभर के परिवार पहले ही कई लाख करोड़ रुपए बचा चुके होते।'

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि यह बताना उनका कर्तव्य है कि इस राहत का 50 प्रतिशत वास्तव में राज्य सरकारों द्वारा वहन किया गया है, एक ऐसा तथ्य जिसे केंद्र स्वीकार करने में विफल रहा है।

भारत ने जीएसटी सुधारों को लागू किया, जिन्हें 2.0 और 'जीएसटी बचत उत्सव' नाम दिया गया। ये 22 सितंबर से प्रभावी हो गए हैं। पुनर्गठन में 5 प्रतिशत, 12, 18 और 28 प्रतिशत की चार-स्लैब प्रणाली को 5 और 18 प्रतिशत की दो-स्लैब संरचना में सरल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

नवरात्र उत्सव की शुरुआत के साथ ही इस योजना की शुरुआत को चिह्नित करते हुए, प्रधानमंत्री ने 22 सितंबर को भारतीयों के नाम एक खुले पत्र में कहा, 'हमने आयकर में भारी कटौती के साथ मध्यम वर्ग के हाथ मजबूत किए हैं, जिससे 12 लाख रुपए की वार्षिक आय तक शून्य कर सुनिश्चित होता है। अगर हम आयकर में कटौती और अगले सामान्य जीएसटी सुधारों को जोड़ दें, तो इससे लोगों को लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए की बचत होगी।'

मोदी की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि इसके विपरीत, केंद्र की भाजपा सरकार राज्यों को मिलने वाले धन को देने से इन्कार कर रही है।

उन्होंने पूछा, 'तमिलनाडु को समग्र शिक्षा निधि से केवल इसलिए वंचित किया जा रहा है, क्योंकि हम हिंदी थोपने को स्वीकार नहीं करते। यह अन्याय कब समाप्त होगा?'

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, 'भारत उन राज्यों को दंडित करके विकास नहीं कर सकता जो अपने अधिकारों की रक्षा करते हैं और अपने लोगों के लिए खड़े होते हैं। संघवाद का सम्मान करें, धनराशि जारी करें और लोगों को उनका हक़ मिलने दें।'

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