प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में 'स्वदेशी से समृद्धि' का मार्ग दिखाया है। आज से संशोधित जीएसटी स्लैबों के लागू होने से आम आदमी के लिए राहत का नया द्वार भी खुल गया है। महंगाई से जूझ रही जनता के लिए ये कर सुधार कल्याणकारी शासन की अवधारणा को साकार करेंगे। पहले, यह शिकायत की जाती थी कि सरकार या तो कोई चीज सस्ती नहीं करती, अगर करती भी है तो दूसरी चीजों के दामों में इस तरह बढ़ोतरी कर देती है, जिससे जनता तक कोई स्पष्ट राहत नहीं पहुंचती। अब जीएसटी की नई दरों के लागू होने से दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर चीजें सस्ती हो जाएंगी। प्रधानमंत्री ने सत्य कहा है कि 'देश में जीएसटी बचत उत्सव शुरू होने जा रहा है। इसमें आपकी बचत बढ़ेगी और अपनी पसंद की चीजों को और ज्यादा आसानी से खरीद पाएंगे ... त्योहारों के इस मौसम में सबका मुंह मीठा होगा, देश के हर परिवार की खुशियां बढ़ेंगी।' इन सुधारों से मांग में बढ़ोतरी होगी, उद्योग-धंधों का विस्तार होगा, रोजगार के अनेक अवसरों का सृजन होगा। ये सुधार भारत के अर्थतंत्र को नई ऊर्जा देंगे, इसकी रफ्तार बढ़ाएंगे। अब केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि सुधारों का लाभ हर नागरिक को मिले। महानगरों और शहरों में तो चीजों की कीमतों पर सबकी नजर रहती है। गांवों और दूर-दराज के इलाकों में कीमतें घटीं या नहीं - इसका ध्यान रखना होगा, क्योंकि देश की ज्यादातर आबादी गांवों में रहती है। अगर अब भी किसी सामान की ऊंची कीमतें वसूली जा रही हों या जीएसटी छूट का पूरा लाभ लोगों को नहीं दिया जा रहा हो तो सरकार को सख्ती दिखानी होगी।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में एक कंपनी से संबंधित जो दिलचस्प उदाहरण (सामान को बेंगलूरु से यूरोप, फिर हैदराबाद भेजने की घटना) पेश किया, उस पर युवा पीढ़ी को अचंभा हो सकता है। यह वास्तविकता है कि दशकों तक ऐसे कानून लागू रहे, जिन्होंने हमारे देश के विकास को अवरुद्ध किया। उस दौर में व्यापार शुरू करना, उसे चलाना बहुत टेढ़ी खीर था। टेलीफोन लगवाने, बैंक खाता खुलवाने जैसे कामों में ही कई दिन लग जाते थे। बैंक के जरिए धन का लेनदेन करना भी आसान नहीं था। गैस सिलेंडर लेने के लिए बहुत चक्कर लगाने पड़ते थे। लंबी-लंबी कतारों में धक्के खाने के बाद व्यक्ति कई बार यह सोचने को मजबूर हो जाता था कि 'मैंने व्यापार शुरू करके कोई अपराध तो नहीं कर दिया?' पिछले एक दशक में ये समस्याएं दूर हो गईं। हालांकि अभी कई सुधार करने बाकी हैं। सरकार को चाहिए कि वह व्यापार करना बिल्कुल आसान बना दे। इसके लिए एक विशेष अभियान चलाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह 'स्वदेशी' अपनाने का आह्वान कर रहे हैं, वह उसी स्थिति में फलीभूत हो सकता है, जब ज्यादा से ज्यादा युवा स्वरोजगार में दिलचस्पी दिखाएं। सरकारी नौकरी पाने के लिए जवानी के कई साल 'तैयारी, कोचिंग, टेस्ट और आंदोलन' में लगाने से तो यह होगा नहीं। केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी में दी गई राहत आम जनता को ही लाभ नहीं पहुंचाएगी। व्यापारी वर्ग भी इससे लाभान्वित होगा। करों का सरलीकरण होने से उनके लिए कामकाज आसान हो जाएगा। वहीं, व्यापार को आगे बढ़ाने के अवसर ज्यादा होंगे। देश के युवाओं के लिए यह बहुत सुनहरा मौका है। जीएसटी सुधारों के बाद भविष्य में व्यापार में असीम संभावनाएं पैदा होंगी। केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उन बाकी अवरोधकों को भी हटा दे, जो व्यापार करने में मुश्किलें डालते हैं। नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार एक बड़ा अवरोधक है। भारत को 'स्वदेशी' के रास्ते पर चलते हुए समृद्धि को प्राप्त करना ही होगा। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है।