बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने गुरुवार को कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा किए गए 'खुलासे' से एक बार फिर यह उजागर हो गया है कि किस प्रकार 'वोट चोरी' के व्यवस्थित और केंद्रीकृत प्रयासों के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र को नष्ट किया जा रहा है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि फरवरी 2022 और फरवरी 2023 के बीच, आलंद विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए चुनाव आयोग के ऐप्स के ज़रिए 6,018 फ़ॉर्म 7 आवेदन जमा किए गए। जांच करने पर पता चला कि केवल 24 आवेदन असली थे, जबकि 5,994 आवेदन फर्जी थे।
सिद्दरामय्या ने कहा कि कर्नाटक के बाहर से चुराए गए मतदाता विवरण, फ़र्ज़ी लॉगिन और मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल 'आवेदकों' के रूप में फर्जीवाड़ा करने के लिए किया गया। पूरे परिवारों को बिना उनकी जानकारी के नाम हटाने के लिए निशाना बनाया गया। मामला दर्ज किया गया और सीआईडी ने जांच शुरू कर दी थी।
सिद्दरामय्या ने कहा कि 18 महीनों से कर्नाटक सीआईडी ने चुनाव आयोग से बार-बार तकनीकी विवरण - गंतव्य आईपी, डिवाइस पोर्ट, ओटीपी ट्रेल्स - मांगे हैं, जो यह पता लगाने के लिए जरूरी हैं कि यह ऑपरेशन कहां से चलाया गया था और इसके पीछे कौन था?
सिद्दरामय्या ने कहा कि चुनाव आयोग ने यह डेटा साझा करने से इन्कार कर दिया है। आज, इन विशिष्ट मांगों पर ध्यान देने के बजाय, चुनाव आयोग ने आरोपों को 'गलत और निराधार' बताकर खारिज कर दिया और दावा किया कि बिना उचित प्रक्रिया के कोई भी नाम नहीं हटाया जा सकता। लेकिन बड़े सवालों के अब भी कोई जवाब नहीं हैं: 18 रिमाइंडरों के बावजूद महत्त्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य क्यों रोके रखे गए हैं?
सिद्दरामय्या ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों से पता चलता है कि यह कोई स्थानीय शरारत नहीं थी। हर बूथ पर पहले मतदाता की नकल करने के लिए सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल किया गया, फ़र्ज़ी नंबर डाले गए और नाम हटाने का काम कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में केंद्रित था।
सिद्दरामय्या ने कहा कि महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की गतिविधियां उजागर हुई हैं और इससे पहले बेंगलूरु मध्य के महादेवपुरा निर्वाचन क्षेत्र में भी, जहां मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई थीं।
सिद्दरामय्या ने कहा कि इससे गंभीर सवाल उठते हैं: क्या आलंद सिर्फ़ आइसबर्ग का एक छोटा-सा हिस्सा था? साल 2018 में भाजपा ने यह सीट बहुत कम अंतर से जीती थी। साल 2023 में, लगभग 6,000 नामों को हटाने की कोशिश की गई थी। साल 2024 में, भाजपा फिर से इस क्षेत्र में आगे रही। अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसी कितनी हेराफेरी पकड़ में नहीं आईं? कितने नतीजों को प्रभावित किया गया?
सिद्दरामय्या ने कहा कि सच साफ़ है: भाजपा 'वोट चोरी' की कोशिश कर रही है और चुनाव आयोग जांच में अड़ंगा डाल रहा है। डेटा साझा करने से इन्कार करके, चुनाव आयोग लोकतंत्र की रक्षा करने के बजाय दोषियों को बचा रहा है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि कर्नाटक की जनता की ओर से, मैं चुनाव आयोग से मांग करता हूं कि वह एक हफ़्ते के भीतर सभी तकनीकी विवरण - आईपी लॉग, डिवाइस पोर्ट और ओटीपी ट्रेल्स - सीआईडी को तुरंत सौंप दे। अगर आयोग ऐसा करने में विफल रहता है तो यह उजागर हो जाएगा कि लोकतंत्र का नाश करने वालों को बचाने में उसकी मिलीभगत है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि मैं कर्नाटक के लोगों और देश के युवाओं से कहना चाहता हूं: यह आपके वोट की पवित्रता और आपके भविष्य का सवाल है। कांग्रेस 'वोट चोरी' को कामयाब नहीं होने देगी। हम यह लड़ाई तब तक जारी रखेंगे, जब तक जवाबदेही तय नहीं हो जाती और लोकतंत्र की रक्षा नहीं हो जाती।