ड्रग्स के खिलाफ निर्णायक लड़ाई

अमित शाह ने ड्रग्स विनष्टीकरण अभियान की शुरुआत की

ड्रग्स के जहरीले धंधे पर लगाम लगाने की जरूरत है

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के एंटी-नार्कोटिक्स टास्क फोर्स प्रमुखों के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन से जाहिर कर दिया है कि ड्रग्स और उनसे पैदा होने वाली समस्याओं के खात्मे के लिए सरकार और ज्यादा सख्त कदम उठाने वाली है। शाह ने ड्रग्स विनष्टीकरण अभियान की शुरुआत कर उन लोगों को भी कड़ा संदेश दिया है, जो इस जहर के धंधे में शामिल हैं। ऐसे लोग किसी भी तरह की नरमी के हकदार नहीं हैं। यूं तो हर चीज का नशा नुकसानदेह होता है, लेकिन ड्रग्स का नशा विनाशकारी है। यह मनुष्य की बुद्धि और चेतना को नष्ट कर देता है। जिस समाज में ड्रग्स के नशे का प्रवेश हो जाता है, वह उसे दीमक की तरह खाने लगता है। कुछ देशों में तो ड्रग्स रखने, बेचने और सेवन करने पर मृत्युदंड दे दिया जाता है। केंद्र सरकार 'विकसित भारत' का निर्माण करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है। विभिन्न क्षेत्रों में नागरिक इसमें सहयोग कर रहे हैं। वहीं, कुछ लोग चंद रुपयों के लालच में आकर युवाओं को नशे के दलदल में धकेल रहे हैं। आज गांवों से लेकर महानगरों तक ऐसे कई युवा मिल जाएंगे, जो अपने क्षेत्रों में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकते थे, लेकिन उन्हें ड्रग्स की ऐसी लत लगी कि खुद को तबाह कर लिया। केंद्रीय गृह मंत्री के इन शब्दों से उन युवाओं के लिए चिंता प्रकट होती है कि 'किसी भी देश की नींव उसकी युवा पीढ़ी होती है। अगर हमारी आने वाली नस्लें ही खोखली हो जाएंगी तो हम रास्ते से भटक जाएंगे।'

ड्रग्स का यह जहरीला धंधा एक खास नेटवर्क की मदद से चलता है। प्राय: ये पदार्थ विदेशों से तस्करी के जरिए भारत में लाए जाते हैं। इसके बाद राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों तक इनका वितरण किया जाता है। वहां से छोटे-छोटे ठिकानों तक लाकर इन्हें लोगों तक पहुंचाया जाता है। इस नेटवर्क का भंडाफोड़ करने के कई तरीके हैं, जिन पर संबंधित एजेंसियां काम कर रही हैं। डार्कनेट, क्रिप्टो करेंसी, कम्युनिकेशन पैटर्न, लॉजिस्टिक्स, फाइनेंशियल फ्लो का विश्लेषण और मशीन लर्निंग मॉडल जैसी तकनीकों को अपनाने से ड्रग्स के धंधे पर काफी हद तक लगाम लग सकती है। हालांकि ड्रग्स तस्कर नए तरीके ढूंढ़ रहे हैं। पाकिस्तान के रास्ते ड्रग्स की तस्करी में ड्रोन का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। बीएसएफ ने जम्मू-कश्मीर और पंजाब में कई बार ऐसे ड्रोनों को धराशायी किया है। ड्रग्स के उत्पादन से लेकर इन्हें अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की प्रक्रिया खासी लंबी होती है। अगर एजेंसियां अधिक सतर्कता से काम करते हुए रणनीति बनाएं तो नशे के सौदागरों पर शिकंजा कसा जा सकता है। हाल में सोशल मीडिया पर अमेरिकी एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल किए गए एक तरीके की काफी चर्चा थी, जिसके तहत उन्होंने उस नेटवर्क में अपने अधिकारियों की घुसपैठ करवा दी थी। ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाए गए, जिनके बारे में दावा किया गया कि ये ड्रग्स के धंधे के लिए समर्पित हैं और पूरी तरह सुरक्षित हैं। जब उनसे अपराधी जुड़ने लगे तो उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी। कुछ समय बाद जब काफी अपराधी जुड़ गए तो उन्हें एकसाथ गिरफ्तार कर लिया गया! भारत में एजेंसियों को स्कूलों और कॉलेजों के आस-पास खास ध्यान रखना चाहिए। वहां अपने भरोसेमंद लोगों का गुप्त नेटवर्क तैयार करना चाहिए, ताकि ड्रग्स के सौदागर कदम जमा ही न सकें और तुरंत पकड़े जाएं। हमारे देश में इस जहर के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

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