बेंगलूरु/दक्षिण भारत। अपर कृष्णा परियोजना (यूकेपी-3) के तीसरे चरण के लिए जिन किसानों की भूमि अधिगृहीत की जाएगी, उन्हें सिंचित भूमि के लिए 40 लाख रुपए प्रति एकड़ और शुष्क भूमि के लिए 30 लाख रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा देने का फैसला लिया गया है।
यह फैसला मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या के नेतृत्व में आयोजित एक विशेष कैबिनेट बैठक में लिया गया।
यूकेपी-3 परियोजना के तीसरे चरण में अलमाटी बांध की ऊंचाई 519 मीटर से बढ़ाकर 524 मीटर करना शामिल है, जिससे भंडारण क्षमता 100 टीएमसी फीट बढ़ जाएगी। इसके लिए 1.33 लाख एकड़ भूमि के अधिग्रहण की जरूरत होगी, जिसमें 75,563 एकड़ भूमि जलमग्न हो जाएगी।
सिद्दरामय्या ने कहा, 'क्षेत्र के किसानों, मंत्रियों और विधायकों की मांग थी कि सिंचित भूमि के लिए न्यूनतम 40 लाख रुपए प्रति एकड़ और शुष्क भूमि के लिए 30 लाख रुपए प्रति एकड़ का भुगतान किया जाना चाहिए और तदनुसार हमने कैबिनेट में समान राशि का भुगतान करने का फैसला लिया है।'
विशेष कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि नहर के काम के लिए 51,000 एकड़ से ज्यादा भूमि की जरूरत है और 23,000 एकड़ से ज्यादा भूमि पर काम पूरा हो चुका है, जिसके लिए सिंचित भूमि के वास्ते 30 लाख रुपए और सूखी भूमि के वास्ते 25 लाख रुपए का मुआवजा तय किया गया है।
उन्होंने कहा, 'मुआवज़ा तीन वित्तीय वर्षों में दिया जाएगा। साथ ही, सहमति अवॉर्ड भी दिए जाएंगे क्योंकि जनप्रतिनिधियों ने किसानों को समझाने की ज़िम्मेदारी ली है। हमें विश्वास है कि वे स्वीकार कर लेंगे।'
एक सवाल के जवाब में सिद्दरामय्या ने कहा कि हर साल लगभग 15,000-20,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। कुल मिलाकर, इस परियोजना पर 70,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा खर्च होंगे।
कैबिनेट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने साल 2023 में सिंचित और शुष्क भूमि के लिए क्रमशः 24 लाख रुपए और 20 लाख रुपए प्रति एकड़ देने का फैसला किया था। उन्होंने कहा, 'किसानों ने इसे स्वीकार नहीं किया और इसे लागू नहीं किया गया।'
सिद्दरामय्या ने कहा कि कांग्रेस सरकार अपने वादे पर खरी उतरती है और परियोजनाओं को लागू करती है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह न्यायमूर्ति ब्रजेश कुमार कृष्णा नदी जल विवाद न्यायाधिकरण के फैसले की राजपत्र अधिसूचना जारी करके बांध की ऊंचाई बढ़ाने का रास्ता साफ करे, ताकि तटवर्ती राज्य अतिरिक्त आवंटित जल का उपयोग कर सकें।