बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के अवसर पर विधान सौधा में भाषण दिया। उन्होंने कहा कि न सिर्फ एक अवसर को चिह्नित करने के लिए, बल्कि हमारे सामूहिक कर्तव्य की पुष्टि करने के लिए संबोधित किया।
सिद्दरामय्या ने कहा कि लोकतंत्र सिर्फ़ शासन प्रणाली नहीं है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। आधुनिक गणराज्यों से सदियों पहले, बसवन्ना के अनुभव मंटप और बुद्ध की शिक्षाओं ने इस भूमि पर समानता, संवाद और न्याय के बीज बोए थे।
सिद्दरामय्या ने कहा कि हमारा संविधान उस विरासत को दर्शाता है। यह किसी भी धर्म, जाति या भाषा को श्रेष्ठ नहीं मानता। यह राष्ट्रपति और सबसे गरीब नागरिक, दोनों को समान वोट और समान शक्ति देता है। यह हमें याद दिलाता है कि शक्ति संस्थाओं या व्यक्तियों में नहीं, बल्कि जनता में निहित है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि फिर भी, आज वह शक्ति खतरे में है। वोट चुराने, असहमति को दबाने, संस्थाओं को कमज़ोर करने, सत्ता को केंद्रीकृत करने और प्रतिगामी विचारधाराओं को थोपने के प्रयास बढ़ रहे हैं। ये कोई छिटपुट घटनाएं नहीं हैं, बल्कि हमारे लोकतंत्र की मूल भावना को नष्ट करने के सुनियोजित प्रयास हैं। वोट चोरी सिर्फ़ चुनावी कदाचार नहीं है। यह गरिमा, समानता और नागरिकता की चोरी है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि हमें इसका विरोध करना होगा। हमें डॉ. बीआर अंबेडकर की चेतावनी याद रखनी होगी: सामाजिक और आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक समानता निरर्थक है। इसीलिए हमारी सरकार हर नागरिक को सशक्त बनाने वाली गारंटी देती है। इसीलिए हम विकेंद्रीकरण, पारदर्शिता और समावेशन के लिए संघर्ष करते हैं। क्योंकि 'मेरा वोट' सिर्फ़ मेरा अधिकार नहीं है, यह मेरी आवाज़ है, मेरी गरिमा है और मेरी ज़िम्मेदारी है। आइए, हम इसकी और इसके साथ ही अपने लोकतंत्र की भी रक्षा करें।