अमरावती/दक्षिण भारत। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने राज्य के झींगा निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे क्षेत्र को 25,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है और 50 प्रतिशत तक निर्यात ऑर्डर रद्द हो गए हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और मत्स्य पालन मंत्री राजीव रंजन सिंह को संबोधित अलग-अलग पत्रों में, मुख्यमंत्री ने दक्षिणी राज्य के जलीय कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली कठिनाइयों को उजागर किया और उनसे समर्थन का अनुरोध किया।
एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, केंद्रीय मंत्रियों को लिखे अपने पत्रों में नायडू ने कहा, 'अमेरिका द्वारा लगाए गए करों से झींगा निर्यात पर भारी असर पड़ा है। अनुमान है कि 25,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ होगा। 50 प्रतिशत तक निर्यात ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं।'
मुख्यमंत्री के अनुसार, 2,000 कंटेनरों के माध्यम से होने वाले निर्यात पर 600 करोड़ रुपए तक का कर लगाया गया है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आंध्र प्रदेश देश के झींगा निर्यात का 80 प्रतिशत और समुद्री निर्यात का 34 प्रतिशत निर्यात करता है, जिसका मूल्य लगभग 21,246 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष है। उन्होंने बताया कि 2.5 लाख परिवार और संबद्ध क्षेत्रों के 30 लाख से ज्यादा लोग जलीय कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं।
नायडू ने कहा कि उनकी सरकार ने जलीय कृषि के किसानों को समर्थन देने के लिए कदम उठाए हैं, जिसके तहत जलीय कृषि चारा निर्माताओं से कीमतों में 9 रुपए प्रति किलोग्राम की कटौती करवाई गई है और सब्सिडी वाले बिजली ट्रांसफार्मर की आपूर्ति पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने केंद्र से जलीय कृषि उत्पादों के घरेलू उपयोग को बढ़ाने, जीएसटी, वित्त और अन्य में लचीलापन लाने के उपाय करके जलीय कृषि क्षेत्र को बचाने का भी अनुरोध किया।
इसके अलावा, उन्होंने 100 करोड़ रुपये का एक कोष स्थापित करने, शीत भंडारों और स्वच्छ मछली एवं समुद्री खाद्य बाजारों की स्थापना करने का आह्वान किया। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकार किसानों को सीधे बाजार तक आपूर्ति चेन की सुविधा देने के लिए आंध्र प्रदेश झींगा उत्पादक समन्वय समिति की स्थापना करने के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री ने समुद्री खाद्य उपभोग को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान की जरूरत पर जोर दिया।