ब्रिटेन में उभरता असंतोष

वहां ग्रूमिंग गैंग ने बड़ा आतंक मचा रखा है

एंटी-इमिग्रेशन मार्च में लोगों ने तीखा विरोध प्रदर्शन किया

लंदन में एंटी-इमिग्रेशन मार्च में एक लाख से ज्यादा लोगों के जुटने का गहरा संदेश है। ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों की सरकारों ने पिछले कुछ दशकों में जिस तरह अदूरदर्शितापूर्ण फैसले लेकर पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, इराक, सीरिया, सोमालिया, ट्यूनीशिया जैसे उच्च जोखिम वाले देशों से आने वाले लोगों के लिए दरवाजे खोले, उसके नतीजे अब जगह-जगह दिखाई देने लगे हैं। ब्रिटिश नेताओं के मन में एक ऐसा बहुसांस्कृतिक समाज बनाने का शौक पैदा हुआ था, जो उसके आदर्शों और मूल्यों का सम्मान करे। इसी क्रम में उसने कई देशों के लोगों को आने, नौकरी करने और बसने की इजाजत दी थी। भारत से भी हजारों लोग ब्रिटेन गए थे। वे उसके समाज में पूरी तरह घुलमिल गए। समस्या कुछ खास देशों से आने वालों के साथ है, जो ब्रिटेन की सुविधाएं तो पूरी चाहते हैं, लेकिन उसके समाज में घुलना-मिलना बिल्कुल नहीं चाहते। ब्रिटेन में कई इलाके ऐसे बन गए हैं, जहां पुलिस भी जाने से परहेज करती है। अंग्रेज देख रहे हैं कि कुछ लोग 'अपने देशों' से ऐसी मानसिकता लेकर आए हैं, जो उन्हें ब्रिटिश मूल्यों का सम्मान करने से रोकती है। वे लोग कानून तोड़ने पर गर्व महसूस करते हैं। उन्हें जब मौका मिलता है, ज्यादा से ज्यादा आज़ादी की मांग करते हैं। वे प्रदर्शन के नाम पर उपद्रव और हुड़दंग मचाते हैं, लेकिन खुद को हमेशा पीड़ित की तरह दिखाते हैं। ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग ने बड़ा आतंक मचा रखा है। इन गिरोहों में ज्यादा संख्या पाकिस्तानी पुरुषों की होती है, जो अंग्रेज बच्चियों को फुसलाकर उन्हें ड्रग्स की लत लगाते हैं। इसके बाद उनका यौन शोषण करते हैं।

अपने देश के ऐसे हालात देखकर अंग्रेज खासे चिंतित हैं। वे इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा कर रहे हैं। उनकी शिकायत है कि नेताओं ने वोटबैंक के लालच में देशहित का ध्यान नहीं रखा। उनका यह भी आरोप है कि ब्रिटिश पुलिस अपनी छवि चमकाने के लिए कुछ लोगों द्वारा किए जा रहे अपराधों को नज़र-अंदाज़ कर देती है या बहुत हल्की कार्रवाई करती है। ब्रिटेन के कई इलाकों में अंग्रेजों को क्रिसमस मनाते समय दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हाल के वर्षों में वहां हिंदू मंदिरों पर हमलों की घटनाएं सुर्खियों में रही हैं। वोटबैंक की यह राजनीति ब्रिटेन को ऐसे मोड़ पर ले आई है, जहां अंग्रेज अपने देश का झंडा लेकर निकल पड़े हैं। यह होना ही था। पाकिस्तानी मूल के मशहूर यूट्यूबर हारिस सुल्तान कुछ साल से इस बात को लगातार दोहरा रहे हैं कि यूरोप ऐसी घटनाओं को ज्यादा बर्दाश्त नहीं करेगा। वहां एक दिन लोग उठ खड़े होंगे। लंदन के एंटी-इमिग्रेशन मार्च में लोगों ने जिस तरह तीखा विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस के साथ उनकी झड़पें हुईं, उससे संकेत मिलते हैं कि ब्रिटेन को भविष्य में ऐसे कई प्रदर्शनों के लिए तैयार रहना चाहिए। अंग्रेज यह देखकर हैरान हैं कि उनके देश में रहने वाले कई लोग हमास, हिज्बुल्ला जैसे संगठनों का समर्थन कर रहे हैं। इन्होंने 7 अक्टूबर, 2023 के हमले में मारे गए और बंधक बनाए गए इजराइली नागरिकों के लिए सहानुभूति का एक शब्द नहीं लिखा था। ईरान और फिलिस्तीन, जो इन संगठनों को हथियार और आर्थिक मदद पहुंचाते हैं, के समर्थन में ब्रिटेन में जुलूस निकले थे। ऐसे दृश्य देखकर अंग्रेजों का चिंतित होना स्वाभाविक है। आज का ब्रिटेन उन सभी देशों के लिए एक सबक है, जहां राजनेता राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक गौरव की उपेक्षा करते हैं तथा वोटबैंक पक्का करने के लिए देशहित की बलि चढ़ा देते हैं।

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