बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने रविवार को कहा कि हिंदू धर्म का अपमान करना और धार्मिक आस्था केंद्रों के खिलाफ दुष्प्रचार को बढ़ावा देने वाली कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अब एक कदम और आगे बढ़ गई है। वह हिंदू धर्मावलंबियों को धर्मांतरण के लिए उकसा रही है। मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया बयान इस बात की पुष्टि करता है।
विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर कहा कि गोरक्षा और धर्मांतरण विरोधी कानूनों को निष्क्रिय करने पर पहले से ही विचार कर रही राज्य सरकार ने अब पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा जारी की गई सूची में हिंदू धर्म की जातियों के नाम के साथ 'ईसाई' लिखकर आधिकारिक घोषणा जारी की है।
विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने कहा कि इस पर सवाल उठाने वाली भारतीय जनता पार्टी और हिंदू समर्थक संगठनों को उचित स्पष्टीकरण देकर गलती को स्वीकार कर ‘ईसाई’ नाम से शामिल की गईं जातियों की सूची को वापस लेने का फैसला घोषित करने के बजाय, मुख्यमंत्री का यह जवाब कि 'अगर हिंदू धर्म में समानता होती, तो लोग दूसरे धर्म में क्यों जाते?' — यह न सिर्फ हिंदू धर्म के प्रति उनकी उपेक्षा और असहिष्णुता को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि वे हिंदू विरोधी मानसिकता रखते हैं। मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया यह बयान धर्मांतरण को परोक्ष रूप से बढ़ावा देने जैसा है।
विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग के माध्यम से सामाजिक और शैक्षिक स्थिति की जानकारी इकट्ठी करने के बजाय, मुख्यमंत्री का धर्मांतरण के नाम पर बात करना संदेहास्पद है, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस ने सामाजिक सर्वेक्षण के नाम पर हिंदू समाज को बांटने का एजेंडा अपनाया है। हिंदू धर्म में असमानता की बात करने वाले मुख्यमंत्री इ... धर्म में मौजूद विरोधाभासों, महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों और 'देश से पहले धर्म' की सोच को क्यों नहीं उठाते? क्यों उस पर सवाल नहीं करते?
विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक रद्द करने वाला कानून लागू किया था, तब मुख्यमंत्री ने उसका स्वागत क्यों नहीं किया? सिद्दरामय्या की राजनीतिक विचारधारा सिर्फ हिंदू धर्म और हिंदू परंपराओं का अपमान करने और अन्य धर्मों को खुश करने तक सीमित है। वे न तो समाजवादी हैं और न ही भारतीय संस्कृति के समर्थक हैं। सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का विरोध करना ही उनकी मानसिकता है, और यही मानसिकता राज्य के प्रशासन पर भी दिखाई दे रही है। इसका प्रतीक यह है कि सरकार की ओर से लगातार हिंदू विरोधी नीतियां सामने आ रही हैं।