समय की बर्बादी है जीवन की बर्बादी: आचार्य विमलसागरसूरी

समय का सदैवसदुपयोग करना चाहिए

समय कभी किसी की प्रतीक्षा नहीं करता

गदग/दक्षिण भारत। राजस्थान जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में जीरावला पार्श्वनाथ सभागृह में शनिवार को उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए आचार्य विमलसागरसूरीजी ने कहा कि समय किसी का मोहताज नहीं होता। जीवन तो अनिश्चितताओं से भरा लंबा यात्रा-पथ है। यहां किसी भी समय कुछ भी घटित हो सकता है। हमारे मन का सोचा हुआ सब सफल-सार्थक होगा, यह मानकर चलना बहुत बड़ी भूल है, इसलिए समय का सदैवसदुपयोग करना चाहिए। 

समय कभी किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। यदि हम समय का दुरुपयोग नहीं भी करते हैं तब भी हम अपना नुकसान ही कर रहे हैं। क्योंकि बीता समय कभी लौटकर तो नहीं आता। इस अर्थ में समय ही अमूल्य अवसर है। 

जो समय को व्यर्थ करते हैं, वे जीवन की महान संभावनाओं को समाप्त कर रहे हैं। इसीलिए धर्मशास्त्रों का उपदेश है कि अच्छे अवसरों का भरपूर लाभ उठाने और अच्छे कार्यों में अनुरक्त रहने का प्रयत्न करना चाहिए। जीवन की सफलता का यही मूलमंत्र है।

जैनाचार्य ने कहा कि समय का सदुपयोग करने वाली जागृत आत्माएं होती हैं। जो प्रमाद या आलस्य में जीती हैं, वे अच्छी संभावनाओं को व्यर्थ कर रही हैं। समय का बीतना जीवन का बीतना है। भगवान महावीरस्वामी ने प्रमाद को मृत्यु कहा है। उन्होंने बताया है कि इच्छाएं आकाश के समान अनंत हैं। वे कभी पूरी नहीं होगी। इसलिए इच्छाओं के भरोसे नहीं, अथक परिश्रम के भरोसे जीवन आगे बढ़ाना चाहिए। 

संघ के अध्यक्ष पंकज बाफना ने बताया कि दोपहर को गणि पद्मविमलसागरजी के सान्निध्य में दूसरा बाल संस्कार शिविर आयोजित हुआ जिसमें सातवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा तक के दो सौ से अधिक विद्यार्थियों ने इसमें भाग लिया। शैक्षणिक रूप में विद्याभ्यास, आत्मविश्वास, नैतिकता और कर्तव्यबोध पर सुंदर मार्गदर्शन देकर बालकों से प्रश्नोत्तरी की गईं।

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