मैसूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर दौरे पर टिप्पणी की। उन्होंने मैसूर हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी दंगों के तीन साल बाद मणिपुर का दौरा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को दंगों के दौरान मणिपुर जाकर लोगों की शिकायतें सुननी चाहिए थीं। हालात सुधरने के बाद वे यह दौरा कर रहे हैं। अब विपक्षी दलों के दबाव के चलते वे मणिपुर गए हैं।
सिद्दरामय्या ने कहा कि भाजपा नेता सीटी रवि और बसनगौड़ा यतनाल के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले बयान देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। अगर भाजपा भड़काऊ भाषण दे तो सरकार को क्या करना चाहिए? क्या वह हाथ पर हाथ धरे बैठी रह सकती है? समाज में अमन-चैन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि हम भड़काऊ भाषण देने वालों पर कार्रवाई करेंगे। यह राजनीति नहीं है। हमने किसी को निशाना नहीं बनाया है, न ही बनाएंगे। मैं भी हिंदू हूं। मेरे नाम में ईश्वर और राम, दोनों भगवानों के नाम हैं।
हासन दुर्घटना पर की टिप्पणी
सिद्दरामय्या ने कहा कि दुर्घटना की स्थिति में मृतक के परिवारों को सरकार द्वारा दिया जाने वाला मुआवज़ा, जीवन की हानि के बराबर नहीं होता। मुआवज़ा मृतक के परिवार को सांत्वना देने और शुरुआती दिनों में परिवार को आर्थिक तंगी से बचाने के लिए दिया जाता है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि सरकार ने सड़क सुरक्षा कानून लागू किए हैं और सुरक्षा उपाय किए हैं। दुर्घटना चालक की गलती से हुई। इसके लिए सरकार को कैसे ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है?
सिद्दरामय्या ने कहा कि मैंने हासन के प्रभारी मंत्री कृष्ण भैरेगौड़ा को मृतकों के परिजन से मिलने, उन्हें सांत्वना देने और मुआवज़ा देने का निर्देश दिया है। यह मुआवज़ा इसलिए दिया जा रहा है, क्योंकि मृतकों के परिवार आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर इन परिवारों को दुःख सहन करने की शक्ति दें।
'दशहरा एक राष्ट्रीय पर्व'
सिद्दरामय्या ने कहा कि प्रताप सिम्हा ने अदालत में एक याचिका दायर कर मांग की है कि बानू मुश्ताक को दशहरा उत्सव का उद्घाटन करने की अनुमति न दी जाए। इस मामले का निपटारा अदालत में ही होना चाहिए। दशहरा कोई धार्मिक आयोजन नहीं है। सांस्कृतिक रूप से सभी धर्मों के लोग इसमें भाग लेते हैं। दशहरा एक राष्ट्रीय पर्व है और इसका मतलब यह नहीं कि एक ही धर्म के लोग इसमें भाग लें। सभी जाति और धर्म के लोग एक सार्वभौमिक पर्व में भाग ले सकते हैं। यदि प्रताप सिम्हा समाज की शांति भंग करने वाला कोई कार्य करेंगे तो पुलिस कार्रवाई करेगी।