कुमारस्वामी बोले- ऑटो सेक्टर की आयात पर निर्भरता कम करने के लिए यह कदम उठाएगा भारत

उद्योग, अनुसंधान संस्थान और स्टार्टअप नवाचार लाएंगे

Photo: hdkumaraswamy FB Page

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने गुरुवार को कहा कि भारत का इस्पात उद्योग आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कुछ ऑटोमोबाइल पार्ट्स या घटकों में उपयोग किए जाने वाले विशेष उच्च-ग्रेड स्टील के विकास पर विचार कर रहा है।

भारत लंबे समय से उच्च-श्रेणी के इस्पात के लिए आयात पर निर्भर रहा है, जो ऑटोमोटिव कलपुर्जों के अलावा रक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों के लिए भी महत्त्वपूर्ण हैं। देशभर में शुरू हो रही बड़ी परियोजनाओं के कारण उच्च-श्रेणी के इस्पात की मांग बढ़ रही है।
 
यहां सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि मार्च 2025 तक पीएलआई ऑटो योजना के तहत कंपनियां पहले ही 29,576 करोड़ रुपए की पूंजी निवेश कर चुकी हैं, जिसमें नई उत्पादन सुविधाएं और परिचालन टेक्नोलॉजी स्थापित करना शामिल है।

उन्होंने बताया कि पीएलआई ऑटो योजना ने विनिर्माण, आपूर्ति चेन प्रबंधन और अनुसंधान एवं विकास में हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां भी पैदा की हैं।

कुमारस्वामी ने एक वीडियो संदेश में कहा, 'इस्पात मंत्री के रूप में, मैं इस अवसर पर भारतीय ऑटो उद्योग को आश्वस्त करना चाहूंगा कि इस्पात मंत्रालय ऑटो क्षेत्र को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगा और मेक इन इंडिया को और अधिक सशक्त बनाएगा।'

उन्होंने कहा, 'इस्पात उद्योग विशेष इस्पात विकसित करने पर विचार कर रहा है, जो ऑटो क्षेत्र में कुछ घटकों या भागों के लिए आवश्यक है, ताकि इस क्षेत्र को अपनी विशिष्ट उच्च-श्रेणी के इस्पात की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर न रहना पड़े।'

उन्होंने कहा कि सरकार सक्षम नीतियां बना सकती है, लेकिन उद्योग, अनुसंधान संस्थान और स्टार्टअप ही हैं जो नवाचार को जीवन में लाएंगे।

उन्होंने कहा, 'हमारा मंत्रालय वाहन निर्माताओं, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं और ऊर्जा कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत अपने घरेलू स्थिरता लक्ष्यों को पूरा करे और टिकाऊ गतिशीलता समाधानों का वैश्विक निर्यातक भी बने।'

मंत्री ने सभी हितधारकों से वृद्धिशील परिवर्तनों से आगे सोचने का आग्रह किया तथा उनसे साहसिक कदम उठाने, नवाचार को अपनाने और भारत को विश्व के लिए सतत गतिशीलता का प्रतीक बनाने के लिए कहा।

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