बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कृष्णा अपर नदी परियोजना के तीसरे चरण के क्रियान्वयन के संबंध में बुधवार को विधान सौधा सभागार में एक बैठक हुई। इस दौरान आगामी चरणों पर विस्तृत चर्चा की गई।
मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने अपने 'एक्स' अकाउंट पर इस बैठक की मुख्य बातों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण-2 के फैसले के अनुसार, कृष्णा अपर नदी परियोजना चरण-3 के कार्यान्वयन के लिए 130 टीएमसी पानी आवंटित किया गया है, जिससे 5.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा मिलेगी।
सिद्दरामय्या ने बताया कि कृष्णा अपर नदी परियोजना चरण-3 में जल उपयोग के लिए अलमट्टी जलाशय के जल भंडारण स्तर को 519 मीटर से 524 मीटर तक बढ़ाकर 100 टीएमसी अतिरिक्त जल संग्रह का अनुमान है।
सिद्दरामय्या ने बताया कि परियोजना के क्रियान्वयन के लिए कुल 1,33,867 एकड़ भूमि की जरूरत है, जिसमें 75,563 एकड़ भूमि बैकवाटर में डूब जाएगी। अब तक 29,566 एकड़ भूमि के लिए भूमि अधिग्रहण आदेश जारी किए जा चुके हैं। 59,354 एकड़ भूमि के लिए अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू की जानी है।
सिद्दरामय्या ने बताया कि यह फैसला लिया गया है कि जलमग्न होने वाली भूमि का दो चरणों में अधिग्रहण करने के बजाय एक ही चरण में अधिग्रहण किया जाएगा। सरकार, अपनी ज़मीन देने वाले किसानों को उचित मुआवज़ा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्हें उचित पुनर्वास भी दिया जाएगा। इस संबंध में कैबिनेट बैठक में उचित फैसला लिया जाएगा।
सिद्दरामय्या ने बताया कि परियोजना की प्रारंभिक लागत 51,148 करोड़ रुपए आंकी गई थी। अब संशोधित लागत 87,818 करोड़ रुपए है। इसमें से 17,627 करोड़ रुपए भूमि अधिग्रहण के लिए अनुमानित थे। वर्तमान संशोधित लागत 40,557.09 करोड़ रुपए आंकी गई है।
सिद्दरामय्या ने बताया कि परियोजना से संबंधित 9 उप-परियोजना सिविल कार्यों के लिए संशोधित अनुमानित लागत 25,122.53 करोड़ रुपए आंकी गई है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि हमारी सरकार का वादा है कि अपर कृष्णा परियोजना को पूरा किया जाएगा और किसानों की ज़मीनों तक पानी पहुंचाया जाएगा। इसके लिए, हम भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने और अपने हिस्से के पानी का सदुपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।