भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन द्वारा दिए गए बयान कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान 400 वैज्ञानिकों ने चौबीसों घंटे काम किया था, से पता चलता है कि हमारा वैज्ञानिक समुदाय इस देश की सेवा एवं सुरक्षा के लिए कितना प्रतिबद्ध है! इसरो के ये कर्मठ वैज्ञानिक भी भारत मां के सैनिक हैं, जिन्होंने देश को विजय दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इनकी रणभूमि कुछ अलग है, हथियार अलग हैं और लड़ाई के तौर-तरीके अलग हैं। दुश्मन द्वारा पैदा की गईं चुनौतियों से देश को सुरक्षित रखने और उचित जवाबी कार्रवाई करने में हमारे वीर सैनिक सबसे आगे रहते हैं। वे अपने कर्तव्य पथ पर बलिदान देते हैं। उनके अलावा कुछ 'सैनिक' ऐसे भी होते हैं, जो भले ही सेना की वर्दी नहीं पहनते, लेकिन रणभूमि में डटे रहते हैं, दुश्मन से टकराते हैं और अपने देश को विजय दिलाते हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता को शानदार बनाने के लिए इन 'सैनिकों' की भी सराहना होनी चाहिए। कई लोगों को पता ही नहीं होगा कि जब पाकिस्तान हमारे देश पर घातक हमले की साजिश रच रहा था, तब इसरो के उपग्रह चौबीसों घंटे सक्रिय थे और दुश्मन की हरकतों पर नजर रख रहे थे। जो लोग अंतरिक्ष विज्ञान संबंधी जानकारी न होने पर यह तर्क देते हैं कि 'इतने उपग्रह छोड़ने और मिशन चलाने से क्या हासिल होता है', उन्हें पता होना चाहिए कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान हम पाकिस्तान को जोरदार जवाब इसलिए दे पाए, क्योंकि देश के पास सैन्य शक्ति के साथ वैज्ञानिक शक्ति थी।
भारतीय मिसाइलों और ड्रोनों ने पीओके से लेकर पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी ठिकानों पर जिस तरह कहर बरपाया, उससे स्पष्ट होता है कि हमारे सशस्त्र बलों के पास बिल्कुल सटीक जानकारी थी। जिन इमारतों में आतंकवादियों ने पनाह ले रखी थी, उन्हीं को निशाना बनाया गया था। यह जानकारी खुफिया एजेंसियों के कर्मचारी और एजेंट ही जुटा सकते हैं, जो गुमनाम सैनिक की तरह अपना काम करते रहते हैं। जब पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर अग्निवर्षा हुई तो स्थानीय लोगों को आश्चर्य हुआ कि यह जानकारी भारत के पास कैसे पहुंच गई! कुछ इलाके ऐसे थे, जहां आम पाकिस्तानी नहीं जा सकते। वहां फौज और आईएसआई का कड़ा पहरा होता है। ऐसे में यह पता लगाना बहुत मुश्किल था कि कौनसा आतंकवादी किस कमरे में छिपा है? भारतीय खुफिया एजेंसियों ने यह काम कर दिखाया। इससे आतंकवादियों में भारी खलबली मची हुई है। क्या पता कौन व्यक्ति भारत को सूचना भेज दे और आतंकवादियों के पूरे कुनबे को परलोक के दर्शन करवा दे! पहलगाम की घटना के बाद गोला-बारूद का निर्माण करने वाली इकाइयों के कर्मचारियों, लॉजिस्टिक्स कर्मचारियों ने भी मोर्चा संभाल लिया था। कई कर्मचारी अपनी छुट्टियां बीच में छोड़कर ड्यूटी पर लौटे थे। उन पर घर-परिवार की जिम्मेदारियां थीं, लेकिन उन्होंने देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। बेशक ये भी भारत मां के सैनिक हैं। जब पाकिस्तान हमारे हवाई हमलों से पस्त हो गया था तो उसने बड़े स्तर पर साइबर हमले किए थे। उसने भारत की कई महत्त्वपूर्ण वेबसाइटों को निशाना बनाने की कोशिश की थी। उसके हमलों को भारतीय साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने नाकाम किया था। पाकिस्तान के साइबर आतंकवाद के सामने चट्टान की तरह खड़े होने वाले ये साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ अपनेआप में सैनिक हैं। वह हर व्यक्ति भारत मां का सैनिक है, जिसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सफल बनाने के लिए अपने स्तर पर कोई भी प्रयास किया था।