बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने कहा कि लोगों को ब्रह्माश्री नारायण गुरु के संघर्षों के विचारों और उद्देश्य को समझने की जरूरत है। नारायण गुरु किसी एक समुदाय या जाति के नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए हैं। उन्होंने समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था, अंधविश्वास और अंध-श्रद्धा के विरुद्ध संघर्ष किया था।
मुख्यमंत्री ने यहां रवींद्र कला क्षेत्र द्वारा आयोजित ब्रह्माश्री नारायण गुरु जयंती कार्यक्रम को संबोधित किया।
सिद्दरामय्या ने कहा कि नारायण गुरु ने 'शिक्षा के माध्यम से स्वतंत्र बनें' की पैरवी की थी। ऐतिहासिक रूप से हमारा समाज निरक्षर था, लेकिन अब स्थिति थोड़ी सुधर गई है। नारायण गुरु ने कहा था कि अगर आपको मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाए, तो मंदिर को अपने पास लाने की कोशिश करें।
सिद्दरामय्या ने कहा कि नारायण गुरु ने एक वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश की थी। उन्होंने सन् 1885 में पहला मंदिर बनवाया था। तब से 150 से ज़्यादा मंदिर बनवाए। ईश्वर ने यह नहीं कहा है कि सिर्फ़ 'ऊंची जातियों' के लोग पुजारी बनें। उन्होंने पुजारी बनने वालों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की। उन्होंने एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर जैसे शब्द दिए।
सिद्दरामय्या ने कहा कि हमें जो आज़ादी मिली है, उसे सफल बनाने के लिए निर्बलों को सशक्त बनाना होगा। तभी सच्ची आज़ादी मिलेगी। बसवन्ना के ज़माने से लोग कहते आ रहे हैं कि जाति और वर्ग मिट जाने चाहिएं, लेकिन जाति मिट नहीं पाई। हालांकि संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सभी को समान अवसर मिलने चाहिएं, फिर भी सभी को समान अवसर नहीं मिले हैं।
सिद्दरामय्या ने कहा कि बसवन्ना वचन पढ़ते हुए, हम पूछते हैं- हम किस जाति के हैं? इससे मुक्ति पाने के लिए, हमें आर्थिक और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनना होगा। इसके लिए, हमें पढ़ाई करनी होगी, चाहे वह कोई भी पेशा हो। हमें डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफ़ेसर, वैज्ञानिक बनना होगा। डॉक्टर, इंजीनियर या वैज्ञानिक बनना किसी की बपौती नहीं है। हर किसी में क्षमता होती है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि सबकुछ जन्म से तय नहीं होता। यह उपलब्ध अवसरों और उनके उपयोग से तय होता है। जालप्पा ने एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की थी। अगर उन्होंने इसके बारे में नहीं सोचा होता, तो यह संभव नहीं होता।
सिद्दरामय्या ने कहा कि सरकार सभी को निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध करवा रही है। वह अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। माता-पिता चाहे किसी भी पेशे में हों, उनका यह कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करें और उन्हें शिक्षित बनाएं।
सिद्दरामय्या ने कहा कि अगर मैं शिक्षित न होता, तो क्या मैं, बंगारप्पा, वीरप्पा मोइली, एसएम कृष्णा या देवेगौड़ा मुख्यमंत्री बन पाते? नारायण गुरु ने बार-बार शिक्षा के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि शिक्षा सभी उपलब्धियों का आधार है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि सरकार लगभग 31 जयंतियां मनाती है। इनमें से लगभग 15 जयंतियां मनाने का काम हमारी सरकार ने ही किया है। नारायण गुरु की जयंती मनाने की शुरुआत सन् 2016 में हमारी ही सरकार के कार्यकाल में हुई थी।
सिद्दरामय्या ने कहा कि हमारी सरकार एडिगा-बिल्लावा समुदाय के लिए एक सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए अनुदान देगी, जिसमें एक छात्रावास के निर्माण के लिए जगह भी शामिल है। एडिगा-बिल्लावा विकास निगम की घोषणा पहले ही की जा चुकी है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि अपने समुदाय के सभी बच्चों को शिक्षित बनाना ही नारायण गुरु का सम्मान है। हम सभी को उनके विचारों को अपनाकर आगे बढ़ना होगा। मैं हमेशा वंचितों और सामाजिक न्याय के पक्ष में रहूंगा। हमारी सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। मैंने अपना राजनीतिक जीवन सामाजिक न्याय के लिए समर्पित कर दिया है।