प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ किन मुद्दों पर वार्ता की?

मोदी सात वर्षों के अंतराल के बाद चीन पहुंचे

Photo: @narendramodi X account

तियानजिन/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रविवार को वॉशिंगटन के टैरिफ विवाद, जिसका असर दुनिया भर की लगभग सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा है, की पृष्ठभूमि में द्विपक्षीय वार्ता की।

मोदी सात वर्षों के अंतराल के बाद शनिवार को दो दिवसीय यात्रा पर चीन पहुंचे।

वार्ता में दोनों नेताओं के भारत-चीन आर्थिक संबंधों का जायजा लेने और पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद गंभीर तनाव में आए संबंधों को और सामान्य बनाने के कदमों पर विचार-विमर्श करने की उम्मीद है।

मोदी मुख्य रूप से रविवार से शुरू हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन में हैं।

हालांकि, व्यापार और टैरिफ पर ट्रंप प्रशासन की नीतियों के बाद भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव के मद्देनजर शी के साथ उनकी बैठक अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है।

तियानजिन की अपनी यात्रा से पहले मोदी ने कहा कि विश्व आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए भारत और चीन का मिलकर काम करना महत्त्वपूर्ण है।

जापान के योमिउरी शिंबुन के साथ एक साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

मोदी ने कहा, 'विश्व अर्थव्यवस्था में मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए, दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन के लिए विश्व आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए मिलकर काम करना महत्त्वपूर्ण है।'

मोदी की चीन यात्रा चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद हो रही है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ वांग की व्यापक वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने दोनों पक्षों के बीच 'स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी' संबंधों के लिए कई उपायों की घोषणा की।

इन उपायों में विवादित सीमा पर संयुक्त रूप से शांति बनाए रखना, सीमा व्यापार को पुनः खोलना तथा शीघ्रातिशीघ्र सीधी उड़ान सेवाएं पुनः शुरू करना शामिल था।

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