उत्तराखंड में बादल फटा, भूस्खलन से 6 की मौत, 11 लापता

प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह प्रभावित हुआ है उत्तराखंड

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देहरादून/दक्षिण भारत। उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में शुक्रवार तड़के भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं में छह लोगों की मौत हो गई और 11 लापता हो गए। अधिकारियों ने बताया कि भूस्खलन से मकान क्षतिग्रस्त हो गए और लोग मलबे के ढेर में दब गए।

चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और बागेश्वर जिलों में प्राकृतिक आपदा का सबसे अधिक असर पड़ा, जो 23 अगस्त को थराली की घटना के तुरंत बाद आई है।

इस मानसून सीजन में उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

थराली में हुई घटना से पहले, उत्तराखंड में 5 अगस्त को ही तबाही मची थी, जब खीर गंगा नदी में अचानक आई बाढ़ ने उत्तरकाशी ज़िले को अपनी चपेट में ले लिया था और गंगोत्री मार्ग पर होटलों और होमस्टे से भरे एक प्रमुख पड़ाव धराली का लगभग आधा हिस्सा तबाह हो गया था। पड़ोसी हर्षिल इलाका, जहां एक सैन्य शिविर बाढ़ की चपेट में आया, भी प्रभावित हुआ था, जिससे निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का भी समय नहीं मिल पाया था।

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने यहां बताया कि बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र के पौसारी ग्राम पंचायत में रातभर हुई भारी बारिश से करीब आधा दर्जन मकान क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे दो लोगों की मौत हो गई, तीन लापता हो गए तथा एक घायल हो गया।

यूएसडीएमए ने बताया कि दो शव बरामद कर लिए गए हैं। बागेश्वर में एक व्यक्ति को घायल अवस्था में बचाया गया है, जबकि तीन अन्य अभी भी लापता हैं। 

मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि चमोली जिले के मोपाटा गांव में भूस्खलन के मलबे में एक घर और एक गौशाला दब गए, जिससे एक दंपति की मौत हो गई तथा एक अन्य घायल हो गया।

अधिकारियों ने बताया कि रुद्रप्रयाग जिले के बसुकेदार क्षेत्र में लगातार बारिश और भूस्खलन से आधा दर्जन से अधिक गांवों में भारी नुकसान हुआ है।

आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि रुद्रप्रयाग जिले के जखोली में एक मकान ढहने से एक महिला की मौत हो गई। जिले में बादल फटने की तीन घटनाएं हुई हैं।

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