कट्टरपंथ का बहाना, लोकतंत्र पर निशाना

बांग्लादेश में बढ़ता जा रहा कट्टरपंथ

आज बांग्लादेश के खिलाफ गतिविधि करने वाले सबसे ज्यादा लोग बांग्लादेश में ही हैं

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का भारत से यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का 'आग्रह' करना हास्यास्पद है कि उसकी धरती से किसी भी बांग्लादेशी नागरिक द्वारा बांग्लादेश विरोधी गतिविधि नहीं की जाए। भारत किसी भी देश के खिलाफ ऐसी गतिविधियों की अनुमति नहीं देता है। आज बांग्लादेश के खिलाफ गतिविधि करने वाले सबसे ज्यादा लोग बांग्लादेश में ही हैं, जो शेख मुजीबुर्रहमान और असंख्य बलिदानियों द्वारा बनाए गए राष्ट्र को तहस-नहस करने को आमादा हैं। जिस देश में कट्टरपंथी तत्त्व दनदनाते फिर रहे हों और अन्य राजनीतिक विचारधारा के समर्थकों पर हमले कर रहे हों, उसे अपने यहां हालात बेहतर करने पर ध्यान देना चाहिए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का इशारा अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर था, जिसे वह प्रत्यर्पित करना चाहती है। हालांकि इसकी राह आसान नहीं है। इस समय बांग्लादेश में जैसा माहौल है, उसमें न्याय सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। अगर भारत ने समय रहते शेख हसीना को आश्रय न दिया होता तो उनकी जान को खतरा था। बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय का यह बयान पाखंड से भरा हुआ है कि 'सरकार ने इन खबरों पर गौर किया है कि ‘प्रतिबंधित’ अवामी लीग ने भारत में कार्यालय स्थापित किए हैं।' जो सरकार अन्य राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाए, उनके नेताओं के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई करे, वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश से ऐसा 'आग्रह' कैसे कर सकती है? उसे पहले अपने यहां ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जिसमें अन्य दल भी लोकतंत्र में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
 
भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह कहकर इस पड़ोसी देश को उचित जवाब दिया है कि 'बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रेस में जारी बयान गलत है और नई दिल्ली को भारत में अवामी लीग के कथित सदस्यों द्वारा बांग्लादेश विरोधी कोई भी गतिविधि या भारतीय कानून के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई किए जाने की जानकारी नहीं है।' बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को चाहिए कि वह अपने यहां पनप रहे कट्टरपंथ पर लगाम लगाए। इन दिनों जिस तरह पाकिस्तान की उसके साथ नजदीकी बढ़ती जा रही है, उससे इस आशंका को बल मिलता है कि भविष्य में वहां कई आतंकवादी संगठन जड़ें जमा सकते हैं। पाकिस्तान ने इन संगठनों को इसलिए तैयार किया था, ताकि ये भारत को परेशान करें। कालांतर में इन आतंकवादी संगठनों ने पाकिस्तानी जनता का खून बहाना शुरू कर दिया था, जो आज तक जारी है। पाकिस्तान के किसी सेना प्रमुख या शीर्ष नेता में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह इनके खिलाफ खुलकर कार्रवाई कर सके। अगर बांग्लादेश ने इन्हें अपनी धरती पर पनपने का मौका दे दिया तो इसका खामियाजा उसकी जनता को भुगतना होगा। याद रखें, ये आतंकवादी संगठन किसी भी तरह के लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते और सिर्फ बम-बंदूक की भाषा जानते हैं। क्या मो. यूनुस या किसी बांग्लादेशी नेता में इतनी ताकत है, जो बांग्लादेश में इनके जड़ें जमाने के बाद इन्हें हटा सके? ढाका को निष्पक्ष चुनाव कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ऐसा चुनाव, जिसमें हर राजनीतिक दल और उसके नेताओं को भाग लेने की स्वतंत्रता हो। किसी दल और उसके नेताओं को मनमाने तरीके से मुकाबले से ही बाहर कर देने की कार्रवाई अनुचित है। इससे असंतोष बढ़ेगा, लोगों का आक्रोश फूटेगा और भविष्य में कई अप्रिय घटनाओं को बढ़ावा मिलेगा। बांग्लादेश को भारतीय विदेश मंत्रालय के इन शब्दों पर अमल करना चाहिए कि 'भारत अपनी अपेक्षा दोहराता है कि जनता की इच्छा और जनादेश जानने के लिए बांग्लादेश में जल्द से जल्द स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव कराए जाएंगे।' अगर कट्टरपंथियों को खुश रखने के लिए किसी दल और उसके नेताओं को चुनाव से बाहर रखा गया तो यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ होगा।

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