गदग/दक्षिण भारत। बुधवार को स्थानीय राजस्थान जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में पर्युषण महापर्व के पहले दिन पांच कर्तव्यों पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए जैनाचार्य विमलसागरसूरीजी ने कहा कि अहिंसकों और शाकाहारियों की उदासीनता पीड़ादायक है।
कभी आजादी के समय देश में 300 कत्लखाने थे, आज लाइसेंस वाले कत्लखानों की संख्या 39000 से अधिक हो गई है। बिना लाइसेंस के पता नहीं हिंसा का कितना कारोबार चलता होगा। यह अन्याय, अत्याचार रुकना चाहिए। हर हालत में हिंसा कम होनी चाहिए।
पार्श्व बुद्धि वीर वाटिका के विशाल पंडाल में बोलते हुए आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि लोकतंत्र में न्याय पाना दूभर हो गया है। मुंबई और अन्य क्षेत्रों में कबूतरों के दाना-पानी पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। बेचारे मासूम-निर्दोष कबूतर तड़फ-तड़फ कर मर रहे हैं। इससे अधिक मानवजाति की हानि तो शराबघर, जुआघर, वेश्यालय कर रहे हैं, पहले उन पर ताले लगाने चाहिएं। धर्मशास्त्र कहते हैं कि हिंसा, अन्याय, अत्याचार हमेशा दुःख के रूप में प्रतिफल बनकर आते हैं।
आचार्यश्री ने कहा कि जीवहिंसा सामाजिक असभ्यता है। कुवृत्तियों से हिंसा जन्म लेती है। राम, कृष्ण, महावीर और बुद्ध के इस देश से मांस एवं जिंदा पशुओं का निर्यात होना अत्यंत शर्मनाक है। स्पष्ट रूप से यह अपने देश के अर्थतंत्र का कत्ल है।
यह नीति राष्ट्र की ऋषि और कृषि परंपरा के लिए कलंक है। इससे देश और ज्यादा गरीब व दुःखी होगा। हिंसा की हाय से विपदाएं आती हैं। कोई शक्ति उन्हें टाल नहीं सकेगी। हिंसा दुःखों के अलावा कहीं नहीं ले जाती।
अहिंसा ही शुद्ध व सात्विक भावों की गंगोत्री है। अहिंसा में शांति, उन्नति और निरापद स्थिति है। सरकारों द्वारा पोल्ट्रीफार्म, मत्स्य उद्योग और कत्लखानों को दी जाती सब्सिडी पूरी तरह बंद होनी चाहिए। इसके लिए अहिंसकों और शाकाहारियों को देशव्यापी आंदोलन करना चाहिए।
न्याय व नीतिकारक बात यही है कि गौशालाओं और पशु-पक्षी पालक संस्थाओं को सब्सिडी मिलनी चाहिए। सरकारों को सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश भी अमल में लाना चाहिए कि मारने से बचाने का अधिकार महत्वपूर्ण है। जब किसी को मारने का अधिकार है तो बचाने का अधिकार उससे ऊपर होना चाहिए।
संघ के अध्यक्ष पंकज बाफना ने बताया कि समाज के भविष्य की अनेक कल्याणकारी योजनाओं को सभा में आखिरी रूप दिया गया। गणि पद्मविमलसागरजी ने बताया कि पर्व के पहले दिन सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर जिनेश्वर की पूजा-अर्चना, दोनों समय प्रतिक्रमण और महाआरती में भाग लिया। संघ के कोषाध्यक्ष निर्मल पारेख ने आगामी कार्य्रकमों की जानकारी दी।